Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 379
________________ ३६६ प्रज्ञापना सूत्र उत्तर - हे गौतम! मसूर के, मगूसो (मंडूसो - चौला की फलियों) के, तिल की, फलियों के, मूंग की फलियों के, उड़द की फलियों के या एरण्ड के बीजों के फूटने से उत्करिका रूप जो भेद होता है वह उत्करिका भेद है। विवेचन - भाषा रूप से ग्रहण किये हुए पुद्गलों का भिन्न और अभिन्न निकलना कहा है। इनका भेद पांच प्रकार का होता है - १. खंड भेद २. प्रतर भेद ३. चूर्णिका भेद ४. अनुतटिका भेद ५. उत्करिका भेद । १ खंड भेद - लोहा, तांबा, सीसा, चांदी, सोना आदि का खण्ड रूप से जो भेद होता है वह खंड भेद है । २. प्रतर भेद - बांस, बेंत, बरु, केले के वृक्ष और अभ्रक का प्रतर की तरह जो भेद होता है वह प्रतर भेद है। ३. चूर्णिका भेद - तिल, मूँग, उड़द, पीपल, मिर्च, सूंठ आदि का चूर्ण रूप से जो भेद होता है वह चूर्णिका भेद है। ४. अनुतटिका भेद - कूप, नंदी, तालाब, द्रह, बावडी, पुष्करिणी, सरोवर पंक्ति का अनुतटिका रूप से जो भेद होता है वह अनुतटिका भेद है । ५. उत्करिका भेद - मसूर, मूंग, उड़द, तिल की फली और एरण्ड बीज - ये सूखने पर फट कर इनमें से दाने उछल कर बाहर निकलते हैं यह उत्करिका भेद हैं। एएसि णं भंते! दव्वाणं खंडाभेएणं पयराभेएणं चुण्णियाभेएणं अणुतडियाभेएणं उक्करियाभेण य भिज्जमाणाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवाइं दव्वाइं उक्करियाभेएणं भिज्जमाणाइं, अणुतडियाभेएणं भिज्जमाणाई अनंतगुणाई, चुण्णियाभेएणं भिज्जमाणाई अनंतगुणाई, पयराभेएणं भिज्जमाणाइं अनंतगुणाई, खंडाभेएणं भिज्जमाणाइं अनंतगुणाई ॥ ४०० ॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! खण्ड भेद से, प्रतर भेद से, चूर्णिका भेद से, अनुतटिका भेद से और उत्करिका भेद से भिदते-भिन्न होते हुए इन द्रव्यों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े द्रव्य उत्करिका भेद से भिन्न होते हैं, उनसे अनुतटिका भेद से भिन्न होने वाले अनन्त गुणा हैं, उनसे चूर्णिका भेद से भिन्न होने वाले अनन्त गुणा, उनसे प्रतर भेद से भिन्न होने वाले अनन्त गुणा और उनसे भी खण्ड भेद से भिन्न होने वाले द्रव्य अनंत गुणा हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org

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