Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
जाइं भावओ फासमंताई गिण्हइ ताई किं एगफासाइं गिण्हइ जाव अट्ठफासाई गिण्हइ?
गोयमा! गहणदव्वाइं पडुच्च णा 'गफासाइं गिण्हइ, दुफासाइं गिण्हइ जाव चउफासाइं गिण्हइ, णो पंचफासाइं गिण्हइ जाव णो अट्ठफासाइं गिण्हइ, सव्वग्गहणं पडुच्च णियमा चउफासाइं गिण्हइ, तंजहा - सीयफासाइं गिण्हइ, उसिणफासाइं गिण्हइ, णिद्धफासाइं गिण्हइ, लुक्खफासाइंगिण्हइ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! भाव से जिन स्पर्श द्रव्यों को जीव ग्रहण करता है क्या वह एक स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है यावत् आठ स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है? ..
उत्तर - हे गौतम! ग्रहण द्रव्यों की अपेक्षा से एक स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण नहीं करता है दो . स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है यावत् चार स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है किन्तु पांच स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण नहीं करता यावत् आठ स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण नहीं करता है। सर्व ग्रहण की अपेक्षा से नियम से चार स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है वे इस प्रकार है - शीत स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है, उष्ण स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है, स्निग्ध स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है और रूक्ष स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है।
विवेचन - भाव से स्पर्श वाले जिन द्रव्यों को जीव भाषा रूप में ग्रहण करता है वे ग्रहण द्रव्य की अपेक्षा एक स्पर्शी नहीं होते क्योंकि एक परमाणु में दो स्पर्श अवश्य होते हैं जैसा कि कहा है - .
कारणमेव तदन्त्यं, सूक्ष्मो नित्यश्च भवति परमाणुः। एक रस वर्णगन्धो, द्वि स्पर्शः कार्य लिंगश्च॥
स्थूल अवयविका जो अन्तिम कारण होता है अर्थात् जिस अन्तिम कारण से स्थूल अवयवी बनता है वह परमाणु सूक्ष्म और नित्य होता है। उसमें एक रस, एक गन्ध और एक वर्ण पाया जाता है और दो स्पर्श पाये जाते हैं। वह परमाणु उसके कार्य रूप से पहचाना जाता है। उस परमाणु के फिर दो विभाग नहीं हो सकते हैं। __अत: वे द्रव्य दो स्पर्शी-दो स्पर्श वाले, तीन स्पर्श वाले या चतुःस्पर्शी-चार स्पर्श वाले होते हैं किन्तु पांच स्पर्श वाले से लेकर आठ स्पर्श वाले तक नहीं होते। सर्व ग्रहण की अपेक्षा वे नियम से शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है।
___ कर्कश, मृदु, गुरु, लघु ये चार स्पर्श स्वाभाविक नहीं होते हैं संयोग जन्य होते हैं। अतः परमाणु से लगाकर सूक्ष्म अनंत प्रदेशी स्कन्धों तक अर्थात् सूक्ष्म परिणाम वाले पुद्गलों में नहीं पाये जाते हैं। भाषा के द्रव्य भी सूक्ष्म परिणाम परिणत होने से उसमें भी ये चार स्पर्श नहीं पाये जाते हैं। बादर
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