Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
अह भंते! जा जाईइ इत्थीवऊ, जाईइ पुमवऊ, जाईइ णपुंसगऊ पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा?
हंता गोयमा! जाईइ इत्थीवऊ, जाईइ पुमवऊ, जाईइ णपुंसगवऊ पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा॥३७८॥ .. कठिन शब्दार्थ - जाईइ - जाति में ... भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जो जाति में स्त्रीवाक् (स्त्रीलिंग वाचक); जाति में पुरुषलिंग वाचक और जाति में नपुंसकलिंग वाचक है क्या यह प्रज्ञापनी भाषा है ? यह भाषा मृषा नहीं है? .
उत्तर - हाँ गौतम! जाति में स्त्रीलिंग वाचक, जाति में पुरुषलिंग वाचक, जाति में नपुंसकलिंगवाचक है यह प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा मृषा नहीं है।
अह भंते! जा जाईड इत्थी आणमणी (आणवणी), जाईइ पुम आणमणी, जाईइ णपुंसग आणमणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा?
हंता गोयमा! जाईइ इत्थी आणमणी, जाईइ पुम आणमणी, जाईइ णपुंसग आणमणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा॥३७९॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जो जाति में स्त्री आज्ञापनी, जाति में पुरुष आज्ञापनी और जाति में नपुंसक आज्ञापनी है क्या यह प्रज्ञापनी भाषा है? यह भाषा मृषा नहीं है?
उत्तर - हाँ गौतम! जाति में जो स्त्री आज्ञापनी है जाति में पुरुष आज्ञापनी है और जो नपुंसक आज्ञापनी है यह प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा मृषा नहीं है।
अह भंते! जाईइ इत्थी पण्णवणी, जाईइ पुम पण्णवणी, जाईइ णपुंसग पण्णवणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा? ..
हंता गोयमा! जाईइ इत्थी पण्णवणी, जाईइ पुम पण्णवणी, जाईइ णपुंसग पण्णवणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा॥ ३८०॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जो जाति में स्त्री प्रज्ञापनी है, जाति में पुरुष प्रज्ञापनी है या जाति में नपुंसक प्रज्ञापनी है क्या यह प्रज्ञापनी भाषा है ? क्या यह भाषा मृषा तो नहीं है?
उत्तर - हाँ गौतम! जो जाति में स्त्री प्रज्ञापनी है, जाति में पुरुष प्रज्ञापनी है, जाति में नपुंसक प्रज्ञापनी है यह प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा असत्य नहीं है।
विवेचन - जो भाषा जाति की अपेक्षा, स्त्री के लक्षण प्रतिपादन करने वाली है, पुरुष के लक्षण प्रतिपादन करने वाली है या नपुंसक के लक्षण प्रतिपादन करने वाली है वह भाषा प्रज्ञापना सत्य भाषा
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