Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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ग्यारहवाँ भाषा पद - मंदकुमार आदि की भाषा
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है, मृषा नहीं है। क्योंकि जातिगत गुणों का निरूपण बाहुल्य को लेकर किया जाता है, एक-एक व्यक्ति की अपेक्षा से नहीं। अत: कदाचित् कहीं किसी व्यक्ति में जाति गुण से विपरीत कोई बात पाई जाए तो भी बहुलता के कारण कोई दोष न होने से वह भाषा प्रज्ञापनी है, मृषा नहीं।
___ मंदकुमार आदि की भाषा अह भंते! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणइ बुयमाणे अहमेसे बुयामिअहमेसे बुयामीति?
गोयमा! णो इणढे समढे, णण्णत्थ सण्णिणो।
कठिन शब्दार्थ - मंदकुमारए - मंदकुमार-अत्यंत छोटा बालक, मंदकुमारिया - मंदकुमारिकाअत्यंत छोटी बालिका।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! क्या मंदकुमार (अत्यंत छोटा बोलक) अथवा मंदकुमारिका (अत्यंत छोटी बालिका) बोलती हुई ऐसा जानती है कि मैं बोल रही हूँ ? ___ उत्तर - हे गौतम! सिवाय संज्ञी के यह अर्थ समर्थ नहीं है। अर्थात् संज्ञी मनुष्य (कुमार अथवा कुमारिका) जान सकते हैं।
अह. भंते! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणइ. आहारं आहारेमाणे-अहमेसे आहारमाहारेमित्ति?
गोयमा! णो इणटे समटे, णण्णत्थ सण्णिणो।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! क्या मंदकुमार या मंदकुमारिका आहार करती हुई जानती है कि मैं आहार कर रही हूँ? - उत्तर - हे गौतम! सिवाय संज्ञी के यह अर्थ समर्थ नहीं है। अर्थात् संज्ञी मनुष्य (मंदकुमार या मंदकुमारिका) जान सकते हैं।
अह भंते! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणइ-अयं मे अम्मापियरो? ... गोयमा! णो इणटे समटे, णण्णत्थ सण्णिणो।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! क्या मन्दकुमार या मन्दकुमारिका यह जानती है कि ये मेरे माता
पिता है?
उत्तर - हे गौतम! सिवाय संज्ञी के यह अर्थ समर्थ नहीं है। अर्थात् संज्ञी मनुष्य (मंदकुमार या मंदकुमारिका) जान सकते हैं।
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