Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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ग्यारहवाँ भाषा पद - चार प्रकार की भाषा
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! मैं ऐसा मानता हूँ कि भाषा अवधारिणी-अर्थ का बोध कराने वाली है। मैं ऐसा चिन्तन करता हूँ-विचार करता हूँ कि भाषा अवधारिणी है। हे भगवन् ! क्या मैं ऐसा मानूं कि भाषा अवधारिणी है? क्या मैं ऐसा चिंतन करूँ कि भाषा अवधारिणी है ? मैं उसी प्रकार ऐसा मानूं कि भाषा अवधारिणी है ? तथा मैं उसी प्रकार ऐसा चिंतन करूँ कि भाषा अवधारिणी है?
उत्तर - हाँ गौतम! तुम मानते हो कि भाषा अवधारिणी है, तुम चिन्तन करते हो कि भाषा अवधारिणी है। तुम मानो कि भाषा अवधारिणी है, तुम चिन्तन करो कि भाषा अवधारिणी है। तुम उसी प्रकार मानो कि भाषा अवधारिणी है तथा उसी प्रकार चिन्तन करो कि भाषा अवधारिणी है।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में श्री गौतम स्वामी ने भाषा की अवधारिणियता के विषय में अपने मन्तव्य की सत्यता का भगवान् महावीर स्वामी से निर्णय कराया है।
"भासा" यह अर्धमागधी भाषा का शब्द है जिसकी संस्कृत छाया "भाषा" होती है। जिसका व्युत्पत्ति अर्थ इस प्रकार है - "भाष व्यक्तायां वाचि" स्पष्ट बोलने अर्थ में भाषा शब्द का प्रयोग होता है। भाष्यते पोच्यते इति भाषा। जिसके द्वारा पदार्थों का स्पष्ट बोध हो उसे भाषा कहते हैं। भाषा शब्द के पर्यायवाची (एकार्थक) शब्द अभिधान राजेन्द्र कोष में इस प्रकार दिये हैं -
वक्कं वयणं च गिरा, सरस्सई भारही य गो वाणी। ___ भासा पन्नवणी दे-सणी य वयजोग जोगे य॥
अर्थ - वाक्यं वचनं च गी: सरस्वती भारती च गौर्वाक् भाषा प्रज्ञपनी देशनी च वाग्योगो योगश्च। --- अर्थात् - वाक्य, वचन, गिर, सरस्वती, भारती, गो, वाक्, भाषा, प्रज्ञापनी, देशनी, वचन योग
और योग। ये सब एकार्थक शब्द हैं अर्थात् भाषा शब्द के पर्यायवाची शब्द हैं। ___मूल में "से" शब्द दिया है जिसका मुख्य अर्थ तो यह होता है - 'वह'। किन्तु यहाँ पर 'से' शब्द का अर्थ है 'अथ'। अथ शब्द का अर्थ इस प्रकार किया गया है
अथ प्रक्रिया प्रश्नान्तरर्यमङ्गलोपन्यासप्रतिवचनसमुच्चयेषु। - अर्थ - प्रक्रिया प्रश्न, अनन्तर, मंगल, उपन्यास, प्रतिवचन और समुच्चय इतने अर्थों में 'अथ' शब्द का प्रयोग होता है।
'ओहारिणी' अवधारिणी - अवधार्यते - अवगम्यते अर्थों अनया इति अवधारिणी। अवबोधबीज भूता इत्यर्थः, भाष्यते इति भाषा, तद् योग्यतया परिणामित निसृज्यमान द्रव्य संहतिः, एष पदार्थः।
अर्थ - जिससे पदार्थों का ज्ञान हो अर्थात् ज्ञान की मूलभूत भाषा को अवधारिणी भाषा कहते हैं।
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