Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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दसवां चरम पद - चरम अचरम पदों का अल्पबहुत्व
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वि विसेसाहिया, दव्वट्ठ पएसट्टयाए सव्वत्थोवे अलोगस्स दव्वट्ठयाए एगे अचरिमे, चरिमाइं असंखिज गुणाई, अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, चरिमंतपएसा असंखिज्ज गुणा, अचरिमंतपएसा अणंत गुणा, चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया ॥३५६॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अलोक के अचरम, चरमों, चरमान्तप्रदेशों और अचरमान्तप्रदेशों में से द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से एवं द्रव्य-प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किनसे अल्प हैं, बहुत हैं, तुल्य हैं, अथवा विशेषाधिक हैं?
उत्तर - हे गौतम! द्रव्य की अपेक्षा से-सबसे कम अलोक का एक अचरम है। उसकी अपेक्षा बहु वचनान्त चरम असंख्यात गुणा हैं। अचरम और बहुवचनान्त चरम ये दोनों विशेषाधिक हैं। प्रदेशों की अपेक्षा से-सबसे कम अलोक के चरमान्त प्रदेश हैं, उनसे अचरमान्त प्रदेश अनन्त गुणा हैं। चरमान्त प्रदेश और अचरमान्त प्रदेश, ये दोनों विशेषाधिक हैं। द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से-सबसे कम अलोक का एक अचरम है। उससे बहु वचनान्त चरम असंख्यात गुणा हैं। अचरम और बहु वचनान्त चरम, ये दोनों विशेषाधिक हैं। उनसे चरमान्त प्रदेश असंख्यात गुणा हैं, उनसे भी अचरमान्त प्रदेशं अनन्त गुणा हैं। चरमान्त प्रदेश और अचरमान्त प्रदेश, ये दोनों विशेषाधिक हैं।
विवेचन - अलोक के तीन अल्पबहुत्व - १. द्रव्यार्थ की अपेक्षा अल्पबहुत्व-उपरोक्तानुसार कह देना चाहिए अर्थात् १. सबसे कम अलोक का एक अचरम है २. उसकी अपेक्षा बहुवचनान्त चरम असंख्यात गुणा है। ३. अचरम और बहु वचनान्त चरम ये दोनों विशेषाधिक हैं। २. प्रदेशार्थ की अपेक्षा अल्पबहुत्व- सबसे थोड़े अलोक के चरमान्त प्रदेश (लोक के निष्कुट भागों से स्पर्श किये हुए अलोक के प्रदेश चरमान्त प्रदेश होते हैं ऐसे प्रदेश) बहुत कम होने से सबसे थोड़े बताये गये हैं। ___२. उनसे अचरमान्त प्रदेश अनन्तगुणा (यद्यपि अलोक में कोई अंतिम या मध्य का खण्ड नहीं होता है तथापि उपरोक्त जो चरमान्त प्रदेश बताये हैं, उनके सिवाय सम्पूर्ण अलोक क्षेत्र के प्रदेश अलोक के अचरमान्त प्रदेशों में गिने गये हैं, वे प्रदेश बहुत अधिक होने से अनन्त गुणा हो जाते हैं।) ३. उनसे अलोक के बहुवचनान्त चरम और बहुवचनान्त अचरम प्रदेश विशेषाधिक हैं। .. ३. द्रव्य प्रदेशार्थ (शामिल) की अपेक्षा से अल्पबहुत्व
१. सबसे थोड़ा अलोक का एक अचरम द्रव्य २. उनसे अलोक के चरम द्रव्य असंख्यात गुणा ३. उनसे अलोक के चरम-अचरम द्रव्य विशेषाधिक ४. उनसे अलोक के चरमांत प्रदेश असंख्यात गुणाक्योंकि अलोक के जो चरम द्रव्य हैं उनके प्रत्येक द्रव्य (खण्ड) असंख्य असंख्य प्रदेशी होने से चरम
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