Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
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होते हैं तो क्या एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों से उत्पन्न होते हैं यावत् पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं? .. उत्तर - हे गौतम! वे एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं।
जइ एगिदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं पुढवीकाइएहितो उववजंति जाव वणस्सइकाइएहिंतो उववजंति?
गोयमा! पुढवीकाइएहितो वि जाव वणस्सइकाइएहितो वि उववजति।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव एकेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या पृथ्वीकायिकों से यावत् वनस्पतिकायिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! पृथ्वीकायिकों से भी आकर उत्पन्न होते हैं यावत् वनस्पतिकायिकों से भी आकर उत्पन्न होते हैं।
जइ पुढवीकाइएहिंतो उववजति किं सुहुमपुढवीकाइएहिंतो उववजंति, बायर पुढवीकाइएहिंतो उववजंति?
गोयमा! दोहितो वि उववजति।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! यदि पृथ्वीकायिक जीव पृथ्वीकायिकों से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों से आकर उत्पन्न होते हैं या बादर पृथ्वीकायिकों से आकर उत्पन्न होते हैं? .
उत्तर - हे गौतम! सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों से भी आकर उत्पन्न होते हैं और बादर पृथ्वीकायिकों से भी आकर उत्पन्न होते हैं।
जइ सुहुमपुढवीकाइएहिंतो उववजति किं पज्जत्त सुहुम पुढवीकाइएहितो उववज्जति, अपज्जत्त सुहुम पुढवीकाइएहिंतो उववज्जति?
गोयमा! दोहितो वि उववजंति।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! यदि पृथ्वीकायिक जीव सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या पर्याप्तक सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों से आकर उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्तक सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम ! दोनों से ही आकर उत्पन्न होते हैं।
जइ बायरपुढवीकाइएहितो उववजंति किं पजत्तएहितो उववजंति, अपजत्तएहितो उववजंति?
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