Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! आयुष्य का बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! आयुष्य का बन्ध छह प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. जाति नाम निधत्तायु २. गति नाम निधत्तायु ३. स्थिति नाम निधत्तायु ४. अवगाहना नाम निधत्तायु ५. प्रदेश नाम निधत्तायु और ६. अनुभाव (अनुभाग) नाम निधत्तायु।
विवेचन - आगामी भव में उत्पन्न होने के लिए जाति, गति आयु आदि का बांधना आयु बंध कहा जाता है। इसके छह भेद हैं -
. १. जाति नाम निधत्त आयु - एकेन्द्रियादि जाति नामकर्म के साथ निषेक को प्राप्त हुआ जाति नाम निधत्तायु है।
फल भोग के लिए होने वाली कर्मपुद्गलों की रचना विशेष को निषेक कहते हैं।
२. गति नाम निधत्त आयु - नरक आदि गति नाम कर्म के साथ निषेक को प्राप्त आयु गति नाम निधत्तायु है।
३. स्थिति नाम निधत्त आयु - आयु कर्म द्वारा जीव का विशिष्ट भव में रहना स्थिति है। स्थिति रूप परिणाम के साथ निषेक को प्राप्त आयु स्थिति नाम निधत्तायु है।
४. अवगाहना नाम निधत्त आयु - औदारिकादि शरीर नाम कर्म रूप अवगाहना के साथ निषेक को प्राप्त आयु अवगाहना नाम निधत्त आयु है।
५. प्रदेशनाम निधत्त आयु - प्रदेश नाम के साथ निषेक प्राप्त आयु प्रदेश नाम निधत्तायु है।
६. अनुभाव नाम निधत्त आयु - आयु द्रव्य का विपाक रूप परिणाम अथवा अनुभाव रूप नामकर्म अनुभाव नाम है। अनुभाव नाम कर्म के साथ निषेक को प्राप्त आयु अनुभाव (अनुभाग) नाम निधत्तायु है। ___ जाति आदि नाम कर्म के विशेष से आयु के भेद बताने का यही आशय है कि आयु कर्म प्रधान है। यही कारण है कि नरकादि आयु का उदय होने पर ही जाति आदि नाम कर्म का उदय होता है।
यहाँ भेद तो आयु के लिए हैं पर शास्त्रकार ने आयु बन्ध के छह भेद लिखे हैं। इससे शास्त्रकार यह बताना चाहते हैं कि आयु बन्ध से अभिन्न है। अथवा बन्ध प्राप्त आयु ही शब्द का वाच्य है।
णेरइयाणं भंते! कइविहे आउयबंधे पण्णत्ते?
गोयमा! छव्विहे आउयबंधे पण्णत्ते। तंजहा - जाइणाम णिहत्ताउए, गइणाम णिहत्ताउए, ठिईणाम णिहत्ताउए, ओगाहणणाम णिहत्ताउए, पएसणाम णिहत्ताउए, अणुभावणाम णिहत्ताउए, एवं जाव वेमाणियाणं॥ ३२६॥ .
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