Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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आठवाँ संज्ञा पद - तिर्यंचयोनिकों में संज्ञाओं का अल्प बहुत्व
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! तिर्यंच योनिक जीव क्या आहार संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! तिर्यंच योनिक जीव बहुलता से बाह्य कारण की अपेक्षा आहार संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं किन्तु संतति भाव-सतत आन्तरिक अनुभव रूप भाव की अपेक्षा आहार संज्ञा के उपयोग वाले यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं अर्थात् चारों संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं।
एएसि णं भंते! तिरिक्खजोणियाणं आहार सण्णोवउत्ताणं जाव परिग्गह सण्णोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा तिक्खिजोणिया परिग्गह सण्णोवउत्ता, मेहुण सण्णोवउत्ता संखिजगुणा, भय सण्णोवउत्ता संखिजगुणा, आहार सण्णोवउत्ता संखिजगुणा ॥३४०॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन आहार संज्ञा के उपयोग वाले यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले तिर्यंच योनिक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक होते हैं? . उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले तियेच योनिक जीव हैं, उनसे मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा हैं, उनसे भय संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा हैं और उनसे भी आहार संज्ञा वाले जीव संख्यात गुणा हैं। .. विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में तिर्यंच योनिक जीवों में पायी जाने वाली संज्ञाओं का कथन किया गया है। ..
तिर्यंच पंचेन्द्रिय भी खाद्य पदार्थों के देखने आदि बाह्य कारण की अपेक्षा बहुलता से आहार संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं शेष संज्ञाओं के उपयोग वाले नहीं। अन्तर के अनुभव रूप संतति भाव की अपेक्षा आहार संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं और यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं अर्थात् चारों संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं। इनका अल्पबहुत्व इस प्रकार हैं - ___सबसे थोड़े परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले हैं क्योंकि परिग्रह संज्ञा का काल थोड़ा है, उनसे मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा हैं क्योंकि मैथुन संज्ञा के उपयोग का काल उससे अधिक है। उन से भी भय संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा हैं क्योंकि उनको समान जाति वालों से और विजातीय प्राणियों से भय बना रहता है अतः भय का उपयोग काल अधिक है। उनसे भी आहार संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा हैं क्योंकि प्रायः सभी तिर्यंच जीवों को निरंतर आहार संज्ञा बनी रहती है।
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