Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
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मनुष्यों में संज्ञाओं का अल्प बहुत्व मणुस्सा णं भंते! किं आहार सण्णोवउत्ता जाव परिग्गह सण्णोवउत्ता? .
गोयमा! ओसण्णं कारणं पडुच्च मेहुण सण्णोवउत्ता, संतइभावं पडुच्च आहार सण्णोवउत्ता वि जाव परिग्गह सण्णोवउत्ता वि।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! क्या मनुष्य आहार संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं अथवा यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! मनुष्य बहुलता से बाह्य कारण की अपेक्षा से मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं किन्तु संतति भाव-आंतरिक अनुभव रूप भाव की अपेक्षा से आहार संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं अर्थात् चारों संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं।
एएसि णं भंते! मणुस्साणं आहार सण्णोवउत्ताणं जाव परिग्गह सण्णोवउत्ताण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? . ___ गोयमा! सव्वत्थोवा मणुस्सा भय सण्णोवउत्ता, आहार सण्णोंवउत्ता संखिज गुणा, परिग्गह सण्णोवउत्ता संखिज गुणा, मेहुणसण्णोवउत्ता संखिज गुणा ॥३४१॥
__भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन आहार संज्ञा के उपयोग वाले यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले मनुष्यों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े मनुष्य भय संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं, उनसे आहार संज्ञा के उपयोग वाले मनुष्य संख्यात गुणा होते हैं, उनसे परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा होते हैं और उनसे मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा होते हैं। ।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में मनुष्यों में पायी जाने वाली संज्ञाओं का निरूपण किया गया है। मनुष्य भी बाह्य कारण की अपेक्षा बहुलता से मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं शेष संज्ञाओं के उपयोग वाले थोड़े होते हैं। अन्तर के अनुभाव रूप संतति भाव की अपेक्षा आहार संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं। चारों संज्ञाओं की अपेक्षा मनुष्यों का अल्पबहुत्व इस प्रकार है - ___सबसे थोड़े मनुष्य भय संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं क्योंकि थोड़े जीवों को अल्प काल तक भय संज्ञा होती है, उनसे आहार संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा होते हैं क्योंकि आहार संज्ञा का उपयोग काल अधिक होता है। उनसे परिग्रह. संज्ञा के उपयोग वाले मनुष्य संख्यात गुणा हैं क्योंकि आहार की अपेक्षा परिग्रह की चिंता विशेष रहती है उनसे भी मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा होते हैं क्योंकि मैथुन संज्ञा लम्बे काल तक बनी रहती है।
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