Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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आठवाँ संज्ञा पद - देवों में संज्ञाओं का अल्प बहुत्व
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देवों में संज्ञाओं का अल्प बहुत्व
देवा णं भंते! किं आहार सण्णोवउत्ता जाव परिग्गह सण्णोवउत्ता ? गोयमा ! ओसण्णं कारणं पडुच्च परिग्गह सण्णोवउत्ता, संतइभावं पडुच्च आहार सणवत्ता वि जाव परिग्गह सण्णोवउत्ता वि ।
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! क्या देव आहार संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं ?
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उत्तर - हे गौतम! देव प्रायः बाह्य कारण की अपेक्षा परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं और संततिभाव की अपेक्षा आहार संज्ञा के उपयोग बाले और यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं।
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एएसि णं भंते! देवाणं आहार सण्णोवउत्ताणं जाव परिग्गह सण्णोवउत्ताणं च कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा आहार सण्णोवउत्ता, भय सण्णोवउत्ता संखिज्ज गुणा, मेहुण सण्णोवउत्ता संखिज्ज गुणा, परिग्गह सण्णोवउत्ता संखिज्ज गुणा ॥ ३४२ ॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन आहार संज्ञा के उपयोग वाले यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले देवों में कौन किनसे अल्प, बहुत्व, तुल्य या विशेषाधिक होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े देव आहार संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं उनसे भय संज्ञा के उपयोग वाले देव संख्यात गुणा होते हैं उनसे मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले देव संख्यात गुणा होते हैं और उनसे भी परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले देव संख्यात गुणा होते हैं ।
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विवेचन प्रस्तुत सूत्र में देवों में पायी जाने वाली संज्ञाओं का कथन किया गया है। बाह्य कारण की अपेक्षा अधिकांश देव परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले होते हैं क्योंकि परिग्रह संज्ञा के उपयोग में कारणभूत मणि, सुवर्ण और रत्न आदि सदैव उनके पास होते हैं । संततिभाव की अपेक्षा से आहार संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं यावत् परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले भी होते हैं ।
चारों संज्ञाओं की अपेक्षा से देवों का अल्पबहुत्व इस प्रकार हैं - सबसे थोड़े देव आहार संज्ञा उपयोग वाले होते हैं क्योंकि आहार की इच्छा का विरह काल बहुत अधिक होने से और आहार संज्ञा के उपयोग का काल अत्यंत अल्प होने से वे सबसे थोड़े होते हैं, उनसे भयसंज्ञा के उपयोग वाले देव संख्यात गुणा होते हैं क्योंकि बहुत से देवों को भय संज्ञा दीर्घकाल तक होती है। उनसे मैथुन संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा और उनसे भी परिग्रह संज्ञा के उपयोग वाले संख्यात गुणा होते हैं।
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