Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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२४८
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प्रज्ञापना सूत्र
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गोयमा ! जहणेणं दसण्हं पक्खाणं, उक्कोसेणं चउदसण्हं पक्खाणं आणमंति
वाजाव णीससंति वा ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! लांतक नामक छठे देवलोक के देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! लांतक देव जघन्य दस पक्ष से और उत्कृष्ट चौदह पक्ष से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
महासुक्क देवा णं भंते! केवइकालस्स आणमंति वा जाव णीससंति वा?
गोयमा ! जहणेणं चउदसण्हं पक्खाणं, उक्कोसेणं सत्तरसण्हं पक्खाणं आमंति वा जाव णीससंति वा ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! महाशुक्र नामक सातवें देवलोक के देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! महाशुक्र देव जघन्य चौदह पक्ष से और उत्कृष्ट सतरह पक्ष से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं ।
सहस्सारग देवा णं भंते! केवइकालस्स आणर्मति वा जाव णीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं सत्तरसण्हं पक्खाणं, उक्कोसेणं अट्ठारसण्हं पक्खाणं जाव णीससंति वा ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! सहस्रार नामक आठवें देवलोक के देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सहस्रार देव जघन्य सतरह पक्ष से और उत्कृष्ट अठारह पक्ष से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
आणय देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा?
गोयमा ! जहणेणं अट्ठारसण्हं पक्खाणं, उक्कोसेणं एगूणवीसाए पक्खाणं जाव णीससंति वा ।
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भावार्थ- - प्रश्न - हे भगवन् ! आनत नामक नववें देवलोक के देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं?
उत्तर - हे गौतम! आनत देव जघन्य अठारह पक्ष से और उत्कृष्ट उन्नीस पक्ष से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
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