Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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सातवाँ उच्छ्वास पद - वैमानिक देवों में श्वासोच्छ्वास विरहकाल
उत्तर - हे गौतम! मध्यम- मध्यम ग्रैवेयक देव जघन्य छब्बीस पक्षों से और उत्कृष्ट सत्ताईस पक्षों से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं ।
मज्झिम उवरिम विज्जग देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं सत्तावीसाए पक्खाणं, उक्कोसेणं अट्ठावीसाए पक्खाणं जाव णीससंति वा ।
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भावार्थ - प्रश्न
कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! मध्यम - उपरितन ग्रैवेयक देव जघन्य सत्ताईस पक्षों से और उत्कृष्ट अट्ठाईस पक्षों से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
उवरिम हेट्ठिम गेविज्जग देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा? गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठावीसाए पक्खाणं, उक्कोसेणं एगूणतीसाए पक्खाणं जाव णीससंति वा ।
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हे भगवन् ! मध्यम - उपरितन (बीच की त्रिक के ऊपर के ) ग्रैवेयक देव
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भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! उपरितन- अधस्तन ( ऊपर की त्रिक के नीचे के ) ग्रैवेयक देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! उपरितन- अधस्तन ग्रैवेयक देव जघन्य अठाईस पक्षों से और उत्कृष्ट उनतीस पक्षों से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
वरम मज्झिम विज्जग देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं एगूणतीसाए पक्खाणं, उक्कोसेणं तीसाए पक्खाणं जाव णीससंति वा ।
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भावार्थ प्रश्न हे भगवन् ! उपरितन-मध्यम ( ऊपर की त्रिक के बीच के) ग्रैवेयक देव
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कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं?
उत्तर - हे गौतम! उपरितन - मध्यम ग्रैवेयक देव जघन्य उनतीस पक्षों से और उत्कृष्ट तीस पक्षों से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं ।
उवरिम उवरिम गेविज्जग देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा ?
गोयमा ! जहणणं तीसाए पक्खाणं, उक्कोसेणं एक्कतीसाए पक्खाणं जाव
णीससंति वा ॥ ३३५ ॥
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