Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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छठा व्युत्क्रांति पद - कुतो द्वार
जइ पज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मभृमग गब्भवक्कंतिय मणुस्सेहिंतो उववज्जंति किं सम्महिट्टि पज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मभूमगेहिंतो उववज्जंति, मिच्छद्दिट्ठि पज्जत्तग संखेज्ज वासाउएहिंतो उववज्जंति, सम्मामिच्छद्दिट्टि पज्जत्तग संखेज्जवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणुस्सेहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा ! सम्मद्दिट्टि पज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणुस्सेहिंतो वि उववज्जंति, मिच्छाद्दिट्टि पज्जत्तगेहिंतो वि उववज्जंति, णो सम्मामिच्छद्दिट्ठि पज्जत्तगेहिंतो उववज्जंति ।
भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! यदि आणत देवलोक के देव पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं या मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं या सम्यग्मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! आणत देवलोक के देव सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले . कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं, मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं किन्तु सम्यग् मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं ।
जइ सम्मद्दिट्ठि पज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय- मणुस्सेहिंतो उववज्जंति किं संजय सम्महिट्ठिपज्जत्तएहिंतो उववज्जंति, असंजयसम्मद्दिद्विपज्जत्तएहिंतो उववज्जंति, संजयासंजयसम्मद्दिट्ठि पज्जत्तगसंखिज्जवासाउएहिंतो उववज्जंति ? गोयमा! तीहिंतो वि उववज्जंति । एवं जाव अच्चुओ कप्पो । एवं गविज्जग देवा वि, णवरं असंजय संजयासंजएहिंतो वि एए पडिसेहेयव्वा । एवं जहेव गेविज्जग देवा तहेव अणुत्तरोववाइया वि, णवरं इमं णाणत्तं संजया चेव ।
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. भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! यदि आणत देवलोक के देव सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्म-भूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं या असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं या संयता - संयत. सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं ?
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