Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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पांचवां विशेष पद - जघन्य आदि अवगाहना वाले संख्यात प्रदेशी पुद्गलों के पर्याय १४५
दो प्रकार की है- दो प्रदेशों में और तीन प्रदेशों में। अतएव मध्यम अवगाहना वाले एक चतुःप्रदेशी स्कन्ध से दूसरा चतुःप्रदेशी स्कन्ध यदि अवगाहना से हीन होगा तो एक प्रदेशहीन ही होगा और अधिक होगा तो एक प्रदेश अधिक ही होगा। इससे अधिक हीनाधिकता उनमें नहीं हो सकती।
जघन्य आदि अवगाहना वाले संख्यात प्रदेशी पुद्गलों के पर्याय
मध्यम अवगाहना वाले चतुःप्रदेशी से लेकर दशप्रदेशी स्कन्ध तक उत्तरोत्तर एक-एक प्रदेशवृद्धि हानि - मध्यम अवगाहना वाले चतुःप्रदेशी स्कन्ध से लेकर दश प्रदेशी स्कन्ध तक उत्तरोत्तर एक-एक प्रदेश की वृद्धि-हानि होती है। तदनुसार चतुःप्रदेशी स्कन्ध में एक, पंच प्रदेशी स्कन्ध में दो, षट् प्रदेशी स्कन्ध में तीन, सप्त प्रदेशी स्कन्ध में चार, अष्ट प्रदेशी स्कन्ध में पांच, नव प्रदेशी स्कन्ध में छह और दश प्रदेशी स्कन्ध में सात प्रदेशों की वृद्धि-हानि होती है।
जहण्णोगाहणगाणं भंते! संखिजपएसियाणं पुग्गलाणं केवइया पजवा पण्णत्ता? गोयमा! अणंता पजवा पण्णत्ता।।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जघन्य अवगाहना वाले संख्यात प्रदेशी पुद्गलों के कितने पर्याय ' कहे गए हैं? - उत्तर - हे गौतम! जघन्य अवगाहना वाले संख्यातप्रदेशी पुद्गलों के अनन्त पर्याय कहे गए हैं।
से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ जहण्णोगाहणगाणं संखिजपएसियाणं पुग्गलाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता? | -- गोयमा! जहण्णोगाहणगए संखिजपएसिए जहण्णोगाहणगस्स संखेजपएसियस्स दव्वट्ठयाएं तुल्ले, पएसट्ठयाए दुट्ठाणवडिए, ओगाहणट्ठयाए तुल्ले, ठिईए चउट्ठाणवडिए, वण्णाइ चउ फास पजवेहिं च छट्ठाणवडिए। एवं उक्कोसोगाहणए वि। अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, णवरं सट्ठाणे दुट्ठाणवडिए।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं कि 'जघन्य अवगाहना वाले संख्यात प्रदेशी पुद्गलों (स्कन्धों) के अनन्त पर्याय हैं ?'
उत्तर - हे गौतम! एक जघन्य अवगाहना वाला संख्यात प्रदेशी स्कन्ध दूसरे जघन्य अवगाहना वाले संख्यात प्रदेशी स्कन्ध से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, प्रदेशों की अपेक्षा से द्विस्थानपतित है, अवगाहना की अपेक्षा से तुल्य है, स्थिति की अपेक्षा से चतुःस्थानपतित है और वर्णादि चार स्पर्शों के पर्यायों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित है।
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