Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
कहना चाहिए। सिद्ध सादि अनन्त होते हैं। सिद्धि गति में जाने की आदि (प्रारम्भ-शुरुआत) तो है परन्तु अन्त नहीं होता है इसलिए उनमें सादि अनन्त भङ्ग ही पाया जाता है। ___ नोट - मूल पाठ में तो यह वर्णन नहीं है किन्तु थोकड़ा वाले यह बोलते हैं यथा - तीन चारित्र (परिहार विशुद्धि, सूक्ष्म सम्पराय और यथाख्यात), तीर्थंकर का विरह पड़े तो जघन्य चौरासी हजार वर्ष से कुछ अधिक होता है तथा चक्रवर्ती का विरह पड़े तो जघन्य १९७६८९ वर्ष ७ महीना २६ दिन लगभग। बलदेव वासुदेव का विरह पड़े तो जघन्य दो लाख ५२ हजार वर्षों से कुछ अधिक होता है और उत्कृष्ट देशोन (कुछ कम) अठारह कोड़ाकोड़ी सागरोपम का होता है। दो चारित्र (सामायिक और छेदोपस्थापनीय) चार तीर्थ (साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका) का विरह पड़े तो जघन्य त्रेसष्ठ हजार वर्ष से कुछ अधिक और उत्कृष्ट देशोन अठारह कोड़ाकोड़ी सागरोपम का होता है।
यह विरह काल पांच भरत और पांच ऐरवत इन दस क्षेत्रों की अपेक्षा समझना चाहिए किन्तु महाविदेह क्षेत्र की अपेक्षा से नहीं क्योंकि वहाँ तो तीन चारित्र (सामायिक, सूक्ष्म सम्पराय और यथाख्यात) तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव, चार तीर्थ, पांच महाव्रत (चतुर्याम धर्म) सदा काल पाये जाते हैं।
॥ तृतीय द्वार समाप्त॥
चौथा एक समय द्वार णेरइया णं भंते! एगसमएणं केवइया उववजंति?
गोयमा! जहण्णेणं एगो वा, दो वा, तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखिज्जा वा असंखिज्जा वा उववजंति, एवं जाव अहेसत्तमाए॥२९८॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! एक समय में कितने नैरयिक उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! एक समय में जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात अथवा असंख्यात नैरयिक उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार यावत् अधःसप्तम (सातवीं नरक) पृथ्वी तक समझ लेना चाहिए।
असुरकुमारा णं भंते! देवा एगसमएणं केवइया उववजंति?
गोयमा! जहण्णेणं एगो वा, दो वा, तिणि वा, उक्कोसेणं संखिजा वा असंखिज्जा वा। एवं णागकुमारा जाव थणियकुमारा वि भाणियव्वा ॥२९९॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! असुरकुमार देव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! असुरकुमार देव जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार नागकुमार देव यावत् स्तनितकुमार देव तक कह देना चाहिये।
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