Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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पांचवां विशेष पद - जघन्य आदि स्थिति वाले परमाणु पुद्गलों के पर्याय
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विवेचन - मध्यम अवगाहना वाले अनन्त प्रदेशी स्कन्ध का अर्थ - आकाश के दो आदि प्रदेशों से लेकर असंख्यात प्रदेशों में रहे हुए मध्यम अवगाहना वाले अनन्त प्रदेशी स्कन्ध कहलाते हैं। प्रस्तुत सूत्र में जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट अवगाहना वाले परमाणु पुद्गलों के पर्यायों की प्ररूपणा की गई है।
उत्कृष्ट अवगाही स्कन्ध अचित्त महास्कन्ध रूप एवं सम्पूर्ण लोक व्यापी होता है तथा सूक्ष्म परिणाम परिणत होने से उसमें वर्णादि १६ बोल ही होते हैं। वर्णादि २० बोल नहीं बताये हैं - क्योंकि यहाँ आत्मप्रदेश रहित केवल अचित्त पुद्गलों की ही विवक्षा की गई है। यद्यपि केवली समुद्घात करते समय तेजस शरीर सम्पूर्ण लोक व्यापी होने से अष्ट स्पर्शी स्कन्ध भी सम्पूर्ण लोक व्यापी हो सकता है परन्तु यहाँ उसकी विवक्षा नहीं की गई है।
अचित्त महास्कन्ध स्थिति तुल्यता आदि के कारण तथा सूक्ष्म स्कन्ध होने से एक साथ अनेक होवे तो भी बाधा नहीं है। जैसे धूप, छाया, अन्धकारादि के अनेक बादर स्कन्ध भी एक साथ हो सकते हैं तो फिर सूक्ष्म स्कन्धों में तो बाधा ही क्या है। ___उत्कृष्ट अवगाही स्कन्ध लोक व्यापी होने से उनकी अवगाहना तो समान होती है। परन्तु प्रदेश तो छट्ठाणवडिया बताये हैं - क्योंकि अवगाहना के कम ज्यादा का उसमें कोई कारण नहीं होता है। जैसे - एक आकाश प्रदेश पर एक परमाणु भी रह जाता है और अनंत प्रदेशी स्कन्ध भी रह सकता है। इसी प्रकार उत्कृष्ट अवगाही स्कन्धों के प्रदेशों में भी अनन्त गुणहीनाधिकता फर्क पड़ सकता है। अतः इनमें प्रदेशों की अपेक्षा 'षट्स्थानापतित" बताया है।
अचित्त महास्कन्ध विस्रसा (स्वाभाविक) परिणाम परिणत होता है। वह सम्पूर्ण लोक व्यापी तो चतुर्थ समय में ही होता है। परन्तु प्रारम्भ के तीन समयों में भी वह 'अवगाहना वृद्धि रूप' कार्य करने से 'चलमाणे चलिए' न्याय से उसकी (उत्कृष्ट अवगाही अनंत प्रदेशी स्कन्ध की) स्थिति तुल्य (४ समय की) कही जाती है।
.. जघन्य आदि स्थिति वाले परमाणु पुद्गलों के पर्याय जहण्णट्ठिइयाणं भंते! परमाणु पुग्गलाणं केवइया पजवा पण्णत्ता? गोयमा! अणंता पजवा पण्णत्ता। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जघन्य स्थिति वाले परमाणु पुद्गल के पर्याय कितने कहे गए हैं ?
उत्तर - हे गौतम! जघन्य स्थिति वाले परमाणुपुद्गल के पर्याय अनन्त कहे गये हैं। . से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ जहण्णट्ठिइयाणं परमाणु पुग्गलाणं अणंता पजवा पण्णत्ता?
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