Book Title: Mahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Amrutrasashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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________________ अध्यात्म के आलोक समदर्शिता स्याद्वाद के महान् ज्योतिर्धर श्रेष्ठ दार्शनिक या दार्शनिक दृष्टिकोण समन्वयवादी या सर्वधर्म सहिष्णु विद्या के कर्मठ व्यक्तित्व न्याय के विषय में योगदान सम्पूर्ण वाङ्मय के विषय में अवगत गुर्जर साहित्य की विशिष्टता उपाध्याय यशोविजय का कर्तृत्व सम्पूर्ण विवरण प्राप्त कृतियाँ अनुपलब्ध संकेत प्राप्त कृतियाँ दार्शनिक कृतियों का संक्षिप्त विवेचन जैन तर्कभाषा गुरुतत्त्व विनिश्चय अध्यात्म मत परीक्षा अनेकान्त व्यवस्था द्वात्रिंशक द्वात्रिंशिका नय रहस्य नय प्रदीप नयोपदेश न्याय खंडन खंड खाद्य न्यायालोक प्रतिमाशतक वादमाला ज्ञानबिंदु उपदेश रहस्य स्याद्वाद रहस्य भाषा रहस्य 74-121 द्वितीय अध्याय उपाध्याय यशोविजय का अध्यात्मवाद अध्यात्मवाद का व्युत्पत्तिपरक अर्थ उपाध्याय यशोविजय द्वारा गृहित सामान्य अर्थ नैगम आदि सप्तनयों की अपेक्षा से अध्यात्म का महत्त्व (iii) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org