________________ इस ग्रन्थ में क्या पायेंगे...! म महान अध्यात्मयोगी का आध्यात्मिक अनुभव लेखन / हो होनारत का विसर्जन करनेवाले योद्धा का चित्रण / पारस्परिक विचारों का खंडनात्मक प्रतिपादनात्मक एवं समन्वयात्मक विवेचन। ध्या ध्यानयोगी के व्यक्तित्व का विवरण / य यत्र, तत्र, सर्वत्र मिली सामग्री का संग्रह। यज्ञरूपी महामहिम ग्रंथ का निर्माण। शो शोर्य, धीर, गम्भीर आदि व्यक्तित्व के विशिष्ट गुणों का प्रस्तुतिकरण। वि विश्लेषण के माध्यम से सत्य का साक्षात्कार / ज जन-जन तक जिनवाणी को पहुचाने का सीलसीला। य यत्र-सर्वत्र समतानय का स्पष्टिकरण / के केवलज्ञान को प्राप्त करने का उत्तम लक्ष्य / दा दार्शनिक विचारों का प्रस्तुतिकरण। शनि के प्रगटेल अद्भुत योगीका कथांकन / निष्कर्षरूप संपूर्ण वाङ्गमय का सारांश / क कर्म सिद्धांत का विस्तृत गहन चिंतन / चिं चिन्तन-मनन-पठन-पाठन-लेखन का सार रूप नवनीत / त तत्त्वसम्मत शास्त्र सम्मत बनाने का भगीरथ प्रयास। न नव्यन्याय की शैली का निरूपण।। का काव्य-छंद-अलंकार-तर्क-आगम आदि का उल्लेख / वै वैविध्यपूर्ण, विविधता एवं विशिष्टताओं से विशिष्ट / शि शिष्टता, सरलता, स्याद्वादित्व, समर्पितता एवं सहानुभूति का संदेश / ष्ट ष्टक स्वराओं का संक्षिप्त आंकलन / य यत्किचित् सागर में गागर का पुरुषार्थ / ॐ RIBRARYANA sala भरत नाहीस 1622134178.9925020100 Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org