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गा० १]
सुदक्खंधपमाणपरूवणं ७७. सुत्तम्मि अट्ठासीदिलक्खपदाणि ८८००००० । पढमाणियोगम्मि पंचसहस्साणि ५०००। पुव्वगयम्मि पंचाणउदिकोडि-पंचासलक्ख-पंच पदाणि होति ६५५०००००५ । चूलियाए दसकोडि-एगूणवण्णलक्ख-छादालसहस्समेत्तपदाणि १०४६४६०००।
७८. तिस्से चूलियाए जलगया थलगया मायागया रूवगया आयासगया चेदि पंच अत्थाहियारा। तत्थ जलगयाए बेकोडि-णवलक्स्व-एगूणणउदिसहस्स-बेसदमेत्तपदाणि २०६८६२०० । थलगयाए एत्तियाणि चेव पदाणि होति २०६८६२०० । मायागयाए वि एत्तियाणि चेव २०६८६२००। रूवगयाए वि एत्तियाणि चेव २०६८६२०० । आयासगदाए एत्तियाणि होति २०६८९२०० । ___७६. पुव्वगयस्स चोद्दस अत्थाहियारा । तत्थ उप्पायपुव्वम्मि एककोडिमेत्तपदाणि १००००००० । अग्गेणियम्मि छण्णउदिलक्ख पदाणि ६६०००००। विरियाणुपवादे सत्तरिलक्खपदाणि ७००००००। अत्थिणत्थिपवादे सहिलक्खपदाणि ६००००००। णाणपवादे एगूणकोडिपदाणि ६६६६६६६। सच्चपवादे छप्पयाहियएगकोडिमेत्तपदाणि १००००००६ । आदपवादे छब्बीसकोडिपदाणि २६००००००० । कम्म५२३६००० पद हैं। व्याख्याप्रज्ञप्तिमें चौरासी लाख छत्तीस हजार ८४३६००० पद हैं।
___७७. दृष्टिवादके सूत्र नामक दूसरे अर्थाधिकारमें अठासी लाख ८८००००० पद हैं। दृष्टिवादके तीसरे अर्थाधिकार प्रथमानुयोगमें पाँच हजार ५००० पद हैं । दृष्टिवादके चौथे अर्थाधिकार पूर्वगतमें पंचानवे करोड़ पचास लाख और पाँच १५५०००००५ पद हैं। दृष्टिवादके पाँचवे अर्थाधिकार चूलिकामें दस करोड़ उनचास लाख छयालीस हजार १०४१४६००० पद हैं।
७८. उस चूलिकाके जलगता, स्थलगता, मायागता, रूपगता और आकाशगता ये पाँच अर्थाधिकार हैं। उनमेंसे जलगतामें दो करोड़ नौ लाख नवासी हजार दो सौ २०१८१२०० पद हैं । स्थलगतामें जलगताके समान २०१८ १२०० ही पद होते हैं। मायागतामें भी इतने ही अर्थात् २०१८१२०० पद होते हैं। रूपगतामें भी इतने ही अर्थात् २०६८६२०० पद होते हैं। आकाशगतामें भी इतने ही अर्थात् २०१८२२०० पद होते हैं।
७६. पूर्वगतके चौदह अर्थाधिकार हैं। उनमेंसे उत्पादपूर्व में केवल एक करोड़ १००००००० पद हैं। अग्रायणी पूर्व में छयानवे लाख १६००००० पद हैं। वीर्यानुप्रवाद पूर्वमें सत्तर लाख ७०००००० पद हैं। अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व में साठ लाख ६०००००० पद हैं। ज्ञानप्रवाद पूर्व में एक कम एक करोड़ र २६ १९९१ पद हैं । सत्यप्रवाद पूर्वमें एक करोड़ छह १००००००६ पद हैं । आत्मप्रवाद पूर्व में छब्बीस करोड़ २६००००००० पद हैं।
(१) एतासां पदसंख्याः हरि० १०।१२४॥ श्लोके गो० जीव० ३६३ गाथायां अंगपण्णत्तौ (चूलिकाप्रकीर्णकप्रज्ञप्तौ) २, ४, ९ गाथासु द्रष्टव्याः । (२) एतेषां पदसंख्याः हरि० १०।१२१ श्लोके गो० जीव०
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