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गा० १७ ]
श्रद्धापरिमाणणि सो
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जहण्णद्धा विसेसाहिया । ' पडिवादुवसामेंतयखवेंतए संपराए अ' - ' संपराए' ति उत्ते सुमसांप इस गहणं कायव्वं । बादरसां पराइयस्स गहणं किण्ण होदि ? ण; बादरसां पराइयअद्धादो संखेजगुणहीणस्स संकामयजहण्णकालस्स एदम्हादो विसेसा - हियत्तदंसणादो ।
$३१३. संपहि एवं सुत्तत्थो संबंधणिजो, उवसमसेढीदो पडिवदमाणो सुहुमसांपराइओ पडिवादसां पराइयो त्ति उच्चदे । तस्स जहणिया अद्धा विसेसाहिया । सुहुमसांपइओ उवसमसेटिं चंढमाणो उवसामेंतसांपराइओ णाम । तस्स जहणिया अद्धा विसेसाहिया | खवयसेटिं चढमाणसुहुमसांपराइओ खवेंतसांपराओ णाम । तहि खवेंतए संपराए जहणिया अद्धा विसेसाहिया । एवं विदियगाहाए अत्थो समंतो ।
माद्धा कोहद्धा मायद्धा तहय चेव लोहद्धा | खुद्धभवग्गहणं पुण किट्टीकरणं च बोद्धव्वा ॥१७॥
होता है वह पृथक्त्व वितर्कवीचार ध्यान है । इस ध्यानका जघन्य काल एकत्ववितर्कअवीचार ध्यानके जघन्य कालसे विशेष अधिक है । ' पडिवादुवसामेंतयखवेंतए संपराए य ' इसमें 'संपराय' ऐसा कहने पर उससे सूक्ष्मस परायिकका ग्रहण करना चाहिये ।
शंका- संपराय इस पदसे बादरसांपरायिकका ग्रहण क्यों नहीं होता है ?
समाधान- नहीं, क्योंकि संक्रामकका जघन्य काल बादरसांपरायिकके जघन्य कालसे संख्यातगुणा हीन होता हुआ भी सूक्ष्मसांपरायिक के जघन्यकाल से विशेष अधिक देखा जाता है । इससे प्रतीत होता है कि यहां पर 'संपराय' पदसे सूक्ष्मसांपरायिकका ग्रहण किया है । $ ३१३. अब सूत्रके अर्थका इसप्रकार संबन्ध करना चाहिये-उपशमश्रेणी से गिरनेवाला सूक्ष्मसांपरायिक प्रतिपातसांपरायिक कहा जाता है । इसका जघन्य काल पृथक्त्ववितर्क - वीचारध्यानके जघन्य कालसे विशेष अधिक है । उपशम श्रेणीपर चढ़नेवाला सूक्ष्मसांपरायिक जीव उपशामक सांपरायिक कहलाता है । इसका जघन्य काल प्रतिपातसांपरायिक के जघन्य कासे विशेष अधिक है । क्षपकश्रेणी पर चढ़नेवाला सूक्ष्मसांपरायिक जीव क्षपकसूक्ष्मसांपरायिक कहलाता है । इस क्षपक सांपरायिकका जघन्य काल उपशामक सांपरायिक के जघन्य कालसे विशेष अधिक है । इसप्रकार दूसरी गाथाका अर्थ समाप्त हुआ ।
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क्षपक सूक्ष्मसांपरायिकके जघन्यकाल से मानका जघन्य काल विशेष अधिक है। इससे क्रोधका जघन्य काल विशेष अधिक है। इससे मायाका जघन्य काल विशेष अधिक
। इससे लोभका जघन्य काल विशेष अधिक है । इससे क्षुद्रभवग्रहणका जघन्य काल विशेष अधिक है । इससे कृष्टिकरणका जघन्य काल विशेष अधिक है ॥ १७ ॥
(१) चलमा - स० । ( २ ) समत्यो ता० ।
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