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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पेज्जदोसविहत्ती णिगोदजीवपडिटिद० तेसिमपजत्ताणं च ओघभंगो।
$३८५. आदेसेण णिरयगईए णेरइएहि पेजदोसविहत्तिएहि केवडियं खेत्तं पोसिदं? लोगस्स असंखेजदिभागो, छ चोदसभागा वा देसूणा । पढमाए खेत्तभंगो। विदियादि जाव सत्तमित्ति पेजदोसविहत्तिएहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेञ्जदिभागो, एक बे तिणि चत्तारि पंच छ चोदसभागा वा देसूणा । पंचिंदियतिरिक्ख-पंचिंदियबादर जलकायिक, बादर अग्निकायिक और बादर वायुकायिक जीवोंका तथा इन चार प्रकारके बादरोंके अपर्याप्त जीवोंका, तथा पृथिवीकायिक आदि समस्त सूक्ष्म जीवोंका तथा इनके पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंका, बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर और बादर निगोद प्रतिष्ठित प्रत्येकशरीर जीवोंका तथा इन दोनोंके अपर्याप्त जीवोंका ओघप्ररूपणाके समान सर्व लोक स्पर्शन जानना चाहिये।
विशेषार्थ-स्पर्शनानुयोगद्वारमें अतीत और वर्तमानकालीन क्षेत्रका विचार किया जाता है । भविष्यत्कालीन क्षेत्र अतीतकालीन क्षेत्रसे भिन्न नहीं होता है इसलिये उसका एक तो स्वतन्त्र कथन नहीं किया जाता और कदाचित् भविष्यत्कालीन क्षेत्रका उल्लेख भी कर दें तो भी उससे क्षेत्रमें कोई न्यूनाधिकता नहीं आती है। तात्पर्य यह है कि जहां जितना अतीतकालीन क्षेत्र है वहां भविष्यत्कालीन क्षेत्र भी उतना ही है न्यूनाधिक नहीं, इसलिये सर्वत्र उसका स्वतन्त्र कथन नहीं किया जाता है। स्पर्शनका कथन भी स्वस्थानस्वस्थान आदि दश अवस्थाओंकी अपेक्षासे किया जाता है। पर प्रकृतमें उन अवस्थाओंकी विवक्षा न करके समस्त जीवराशिका और प्रत्येक मार्गणामें स्थित जीवराशिका अधिकसे अधिक वर्तमान और अतीत कालीन स्पर्शन कितना है इसका उल्लेख किया है। ऊपर वे जीवराशियां बतलाई गई हैं जिनका वर्तमान और अतीत दोनों स्पर्शन सर्वलोक बन जाते हैं। पर अवस्थाविशेषकी अपेक्षा विचार करने पर इन उपर्युक्त राशियोंका वर्तमानकालीन और अतीतकालीन स्पर्शन कम है इसका निर्देश जीवद्वाण आदिमें किया है इसलिये वहांसे जान लेना चाहिये । यद्यपि यहां पेज्ज और दोषकी अपेक्षा स्पर्शनका विचार किया गया है पर इतने मात्रसे इसमें कोई अन्तर नहीं आता है।
६३८५.आदेशनिर्देशकी अपेक्षा नरकगतिमें पेज्जवाले और दोषवाले नारकियोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग वा त्रस नालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम छह भाग क्षेत्रका स्पर्श किया है। पहली पृथिवीमें नारकियोंका स्पर्श क्षेत्रप्ररूपणाके समान लोकका असंख्यातवां भाग जानना चाहिये। दूसरी पृथिवीसे लेकर सातवीं पृथिवीतकके पेज्जवाले और दोषवाले नारकियोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका वा त्रस नालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम एक भाग, दो भाग, तीन भाग, चार भाग, पांच भाग और छह भाग क्षेत्रका स्पर्श किया है।
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