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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ पेज्जदोस विहत्ती १
$१४७.संपहि कसाय पाहुड पडिबद्धासु एत्तियासु गाहासु संतीसु 'गाहासदे असीदे' ति गुणहर भडारएण किमहं पइज्जा कदा ? पण्णारसअत्याहियारेसु एदम्मि एदम्मि अत्थाहियारे एत्तियाओ एत्तियाओ गाहाओ णिबद्धाओ त्ति जाणावणहं कदा | ण च बारस संबंधगाहाओ पण्णारसअत्याहियारेसु एकम्मि वि अत्थाहियारे पडिबद्धाओ; अत्थाहियार पडिबद्धगाहा परूवणाए एदासिं वावारुलंभादो | अद्धापरिमाणणिद्देसम्म बुत्तछ
१८२
कषायप्राभृतमें उपर्युक्त १८० गाथाओंके अतिरिक्त १२ संबन्धगाथाएं, अद्धापरिरिमाणका निर्देशकरनेवालीं ६ गाथाएं और ३५ संक्रमवृत्तिगाथाएं इस प्रकार ५३ गाथाएं और पाई जाती हैं, अतः कुल गाथाओंका जोड़ २३३ होता है ।
जयधवलामें क्रमसे बारह संबन्धगाथाओं, पन्द्रह अर्थाधिकारोंका निर्देश करनेवालीं २ सूत्रगाथाओं, अद्धापरिमाणका निर्देश करनेवालीं ६ गाथाओं, प्रारंभके ५ अर्थाधिकारोंसे सबन्ध रखनेवालीं ३ सूत्रगाथाओं, ३५ संक्रमवृत्तिसबन्धी गाथाओं, और शेष १० अर्थाधिकारोंका कथन करनेवालीं १७५ सूत्रगाथाओंका कथन किया है । चारित्रमोहके क्षपणाप्रकरण में जिन जिन सूत्र गाथाओंकी भाष्यगाथाएं हैं वे उन उन सूत्रगाथाओंके व्याख्यान करते समय आती गईं हैं जिसका ज्ञान ऊपर के कोष्ठकसे हो जाता है ।
२३३ गाथाएं जयधवलामें जिस क्रमसे निबद्ध हैं उसका कोष्ठक निम्नप्रकार हैसंख्या
नाम अधिकार
गाथासंख्या
१२
२
४
५
संबन्धज्ञापक
अर्थाधिकारों का नामनिर्देश करनेवाली
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अद्धापरिमाणनिर्देश संबंधी
प्रारम्भके ५ अर्थाधिकारसंबंधी
संक्रमवृत्तिसंबंधी
शेष १० अधिकारसंबंधी
२
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६
$ १४७. शंका - कषायप्राभृतसे संबन्ध रखनेवाली दोसौ तेतीस गाथाओंके रहते हुए गुणधर भट्टारकने 'गाहासदे असीदे' इस प्रकारकी प्रतिज्ञा किसलिये की है ?
समाधान-पन्द्रह अर्थाधिकारोंमेंसे इस इस अर्थाधिकारमें इतनी इतनी गाथाएं निबद्ध हैं इसप्रकारका ज्ञान करानेके लिए गुणधर भट्टारकने 'गाहासदे असीदे' इस प्रकार की प्रतिज्ञा की है । किन्तु बारह संबन्धगाथाएं पन्द्रह अर्थाधिकारोंमेंसे एक भी अर्थाधिकार में सम्मिलित नहीं हैं, क्योंकि कितनी गाथाएं किस अर्थाधिकारमें पाई जाती हैं इसके प्ररूपण करनेमें
३५
१७५
२३३ गाथाएं
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