Book Title: Kasaypahudam Part 01
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Mahendrakumar Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० १३-१४)
अत्थाहियारणिदेसो
१८१
मूलगाथा
भाष्यगाथा
अर्थाधिकार नाम १ से ५ प्रारंभके पांच अर्थाधिकार
६ वेदक ७ उपयोग ८ चतुःस्थान ९ व्यंजन १० दर्शनमोहोपशामना ११ दर्शनमोहक्षपणा १२ संयमा-संयमलब्धि और ) १३ चारित्रलब्धि १४ चारित्रमोहोपशामना १५ चारित्रमोहक्षपणा
१ प्रस्थापक २ संक्रामक
MmFFFm Gcn mms
३ अपवर्तना ४ कृष्टिकरण
(१) ५, (२) ११, (३) ४, (४) ३,
२३ (१) ३, (२) १, (३) ४, =८ ११ । (१) ३, (२)२, (३)१२,
(४) ३, (५) ४, (६) २, (७) ४, (८) ४, (६) २, (१०) ५, (११) ०, ४१ (१) १,(२) १, (३) १०, (४) २,
=१४
५ कृष्टिक्षपणा
६ क्षीणमोह ७ संग्रहणी
जोड़ ८६
इसप्रकार पन्द्रह अर्थाधिकारोंकी मूल गाथाओंका जोड़ ६२ है और इनमेंसे चारित्रमोहकी क्षपणासे संबन्ध रखनेवाली २८ गाथाओंमेंसे २१ गाथाओंकी भाष्यगाथाओंका जोड़ ८६ है। इसप्रकार ये समस्त गाथाएं १७८ होती हैं। तथा प्रारंभमें पन्द्रह अर्थाधिकारोंका नामनिर्देश करनेवाली दो गाथाएं और भाई हैं उन सहित १८० गाथाएं हो जाती हैं।
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