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गा०४ ] अत्याहियारगाहासूई
१५६ चत्तारि वेदयम्मि दु उवजोगे सत्त होति गाहाओ। सोलस य चउहाणे वियंजणे पंच गाहाओ ॥४॥ $ १२४. एदस्स गाहासुत्तस्स अत्थो वुच्चदे । तं जहा, 'चत्तारि वेदयम्मि दु' वेदओ णाम छटो अत्थाहियारो ६। तत्थ चत्तारि सुत्तगाहाओ होंति ४। ताओ कदमाओ? 'कदि आवलियं [ पवेसइ कदि च ] पविस्संति०' एस गाहा पहुडि 'जो जं संकामेदि य जं बंधेदि०' जाव एस गाहेत्ति ताव चत्तारि होति । एत्थ गाहासमासो सत्त ७ । 'उवजोगे सत्त होंति गाहाओ' उवजोगो णाम सत्तमो अत्थाहियारो, तत्थ सत्त सुत्तगाहाओ णिबद्धाओ। ताओ कदमाओ ? ' केवैचिरं उवजोगो०' एस गाहा पहुडि
ऊपर कहे गये तीन विकल्पोंके अनुसार पांचों अर्थाधिकारोंका सूचक कोष्ठक१ पेजदोषविभक्ति पेजदोषविभक्ति पेज्जदोषविभक्ति
(प्रकृतिविभक्ति) (प्रकृतिविभक्ति) स्थितिविभक्ति स्थितिविभक्ति
स्थितिविभक्ति (प्रकृतिविभक्ति) अनुभागविभक्ति
अनुभागविभक्ति ( प्रदेशविभक्ति, झीणा- ( प्रदेशविभक्ति, झीणाझीण और स्थित्यन्तिक) झीण और स्थित्यन्तिक) बन्ध
प्रदेश-झीणाझीण-स्थित्य
न्तिकविभक्ति
अनुभागविभक्ति
बन्ध
संक्रम
संक्रम
बन्ध
वेदक नामके छठवें अर्थाधिकारमें चार गाथाएँ, उपयोग नामके सातवें अर्थाधिकारमें सात गाथाएँ, चतुःस्थान नामके आठवें अर्थाधिकारमें सोलह गाथाएँ और व्यंजन नामके नौवें अर्थाधिकारमें पाँच गाथाएँ निबद्ध हैं ॥४॥
६१२४. अब इस गाथासूत्रका अर्थ कहते हैं। वह इसप्रकार है-वेदक नामका छठवां अर्थाधिकार है उसमें चार सूत्रगाथाएं हैं। वे कौनसी हैं ? 'कदि आवलियं पविस्संति०' इस गाथासे लेकर 'जो जं संकामेदि य जं बंधदि०' इस गाथा तक चार गाथाएं हैं। यहां तक छह अधिकारोंसे संबन्ध रखनेवाली कुल गाथाओंका जोड़ सात हो जाता है। उपयोग नामका सातवां अर्थाधिकार है। इस अधिकारमें सात सूत्रगाथाएं निबद्ध हैं। वे कौनसी हैं ? 'केव चिरं उवजोगो०' इस गाथासे लेकर 'उवजोगवग्गणाहि य अविरहिदं०' इस गाथातक
(१) सूत्रगाथाङ्कः ५९ । (२) सूत्रगाथाङ्क ६२ । (३) सूत्रगाथाङ्कः ६३ ।
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