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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ पेज्जदोसविहत्ती “पेज वा दोसं वा कम्मि कसायम्मि कस्स व णयस्स ।
दुट्ठो व कम्मि दव्वे हि-(पि) यायदे को कहिं वा वि ॥६६॥" एसा गाहा सूचिदा। कुदो ? एदिस्से एगदेसणिदेसादो । 'विहत्ती ट्ठिदि-अणुभागे च' एदेण वि
"पैयडीय (डीए) मोहणिज्जा च विहत्ति तह हिदी य (दीए) अणुभांगे ।
उक्कस्समणुक्कस्सं ज्झीणमज्झीणं च द्विदियं वा ॥ ७० ॥" एसा गाहा सूचिदा । कुदो ? एदिस्से एगावयवपासादो । 'बंधगे चे य' एदेण वि
___ "कॅदि पयडीओ बंधदि ट्ठिदि-अणुभागे जहण्णमुक्कस्सं ।
संकाभेदि कदि वा गुणहीणं वा गुणविसिटुं ।। ७१॥" एसा गाहा सूचिदा, एदिस्से देसच्छिवणादो । एवमेदाओ तिण्णि गाहाओ पंचसु अत्थाहियारेसु णिवद्धाओ। के ते पंच अत्थाहियारा ? 'पेज्जदोसविहत्ति' त्ति एगो, 'हिदिविहत्ति' त्ति विदियो, 'अणुभागविहत्ति' त्ति तदियो, 'बंधग' इत्ति चउत्थो अकम्मबंधग्गहणादो, पुणो वि 'बंधगे' ति आवित्तीए कम्मबंधग्गहणादो पंचमो अत्थाहियारो । पयडिविहत्ती पदेसविहत्ती च हिदि-अणुभागविहत्तीसु पइहाओ; पयडिपदेसेहि इत्यादि रूपसे ऊपर मूलमें कही गई गाथा सूचित होती है, क्योंकि इस गाथाके एक देशका निर्देश ‘पेज्जदोसविहत्ती' इत्यादि गाथामें किया गया है।।
तथा पूर्वोक्त गाथामें आये हुए 'विहत्ती हिदि-अणुभागे च' इस पदसे भी 'पयडीए मोहणिज्जा' इत्यादि रूपसे मूलमें आई हुई गाथा सूचित होती है, क्योंकि इस गाथाके एकदेशका निर्देश ‘पेज्जदोसविहत्ती' इत्यादि गाथामें पाया जाता है। तथा पूर्वोक्त गाथामें आये हुए 'बंधगे चेय' इस पदसे मी 'कदि पयडीओ बंधदि' इत्यादि रूपसे ऊपर मूलमें कही गई गाथा सूचित होती है, क्योंकि इस गाथाके एकदेशका निर्देश 'पेज्जदोसविहत्ती' इत्यादि गाथामें पाया जाता है। इसप्रकार ये तीन गाथाएँ पांच अर्थाधिकारोंमें निबद्ध हैं।
शंका-वे पांच अर्थाधिकार कौन कौन हैं ?
समाधान-पेज्ज-दोषविभक्ति यह पहला, स्थितिविभक्ति यह दूसरा, अनुभागविभक्ति यह तीसरा, कर्म बंधके ग्रहणकी अपेक्षा संक्तम यह चौथा तथा 'बंधगे' इस पदकी फिरसे आवृत्ति करने पर कर्मबन्धके ग्रहणकी अपेक्षा संक्रम यह पांचवां, इसप्रकार ये पांच अर्थाधिकार हैं। यहां पर प्रकृतिविभक्ति और प्रदेश विभक्ति आदिका स्वतंत्ररूपसे निर्देश क्यों नहीं किया गया है इस शंकाको मनमें रख करके वीरसेन स्वामी कहते हैं कि प्रकृतिविभक्तिं और प्रदेशविभक्ति ये दोनों स्थितिविभक्ति और अनुभागविभक्तिमें अन्तर्भूत हो जाते हैं; क्योंकि प्रकृति और प्रदेशके बिना स्थिति और अनुभाग नहीं बन सकते हैं। तथा
(१) कसायपाहुड गाथाङ्क: २१ । (२) कसायपाहुडसूत्रगाथाङ्कः २२ । (३)-भागो स० । (४) कसायपाहुड-सूत्रगाथाङ्कः २३ । (५)-विहत्ती त्ति स० ।
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