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(१०) जीवो नु अनंत पणु अने पृथ्वी प्रादि तेना भेदो मूलम्:जीवाः पृथिव्यादिमसूक्ष्मवद्ध-निगोद भिन्ना हि भवन्त्यमन्ताः । नानाविधाऽवाप्तसजातियोनि-भिन्नाःसमस्ता:किलकेवलीक्ष्याः३ गाथार्थः- पृथ्वीकाय, अपकाय, तेऊकाय, वायुकाय अने वनस्पतिकाय ए दरेक ना सूक्ष्म अने बादर ए बे प्रकार जाणवा. सूक्ष्म निगोद अने बादर निगोद मां अनत जीवो छे. विविध प्रकार नी जाति अने योनि थी जीवोना भेद पड़े छे. समस्त जीवो केवली भगवंतो थी देखी शकाय छे. विवेचनः- विश्च एटले चौद राजलोक मां जीवो अनंता
छे. तेमां सिद्ध भगवंतो ना १५ भेद छे अने संसारी जीवो ना १४ अथवा ५६३ भेद बतावेल छे. ए बधा भेदो मां सर्व जीवो नो समावेश थई जाय छे.
जोके सिद्ध थया बाद ते जीवो मां भेद होतो नथी परन्तु सिद्ध थता समये अवस्था आदि नी अपेक्षाए भेद बतावेल छे. ते १५ भेद कहेल छे:(१)जे आत्मायो तीर्थंकर थई ने मोक्षे जाय ते जिन सिद्ध (२)जे आत्माओ तीर्थंकर थया विना सामान्य केवली थई ने मोक्षे जाय ते तीर्थ सिद्ध (३) तीर्थनी स्थापना थया पहेलां मोक्षे जाय ते अतीर्थसिद्ध (४)जे प्रात्मानो तीर्थनी स्थापना थया पहेलां मोक्षे जाय ते अतीर्थ सिद्ध (५) जे