Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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लक्ष्य साधना
भगवान ने उत्तर दिया--"न अकेला शील ठीक है, और न अकेला श्रुत । शील और श्रुत-चारित्र और ज्ञान दोनो एक साथ मिलेंगे तभी साधना ठीक चल सकेगी। अत जो शीलवान (सदाचारी) और श्रुतवान (ज्ञानी) है वही वास्तव मे धर्म का सच्चा आराधक है
सीलव सुयवं, उवरए विनायधम्मे. १ शीलवान और श्रुतवान ही धर्म का ज्ञाता और विपयो से विरक्त हो सकता है।
इस प्रकार आप देखेंगे कि मोक्ष की प्राप्ति का हमारे समक्ष ज्ञान और क्रिया का समन्वित मार्ग है ।
तीन मार्ग ज्ञान और क्रिया का विस्तार करके कही-कही पर मोक्ष के साधन रूप तीन मार्ग भी बताये गये हैं । आचार्य भद्रबाहु ने कहा है
णाणं पयासगं, सोहवो तवो
सजमो य गुत्तिकरो । तिण्हं पि समाजोगे,
__ मोक्खो जिणसासणे भणिओ।२ ज्ञान प्रकाश करने वाला है, तप आत्मा की शुद्धि करने वाला है, और सयम पाप-मार्गों का निरोध करने वाला है, बस, इन तीनो का सम-योग अर्थात् तीनो की उचित आराधना करने से ही मोक्ष मिलता है, इन्हें ही मोक्ष समझ लें तब भी ठीक है।
___ भगवान महावीर स्वामी ने अपने अतिम प्रवचन मे मोक्ष का मार्ग बताते हुए शिष्यो से कहा है
नाणस्स सव्वस्स पगासणाए
अन्नाणमोहस्स विवज्जणाए।
१ भगवती सूत्र १०८ २ आवश्यक नियुक्ति गाथा १०३