Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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हाला ताप
२८५ वृक्ष की तरह सीधे खडे रहते है, काली पदों में भी नामः कम पानी में
वे रहते हैं.--ौंधे गिर लटका रहते। किन्तु उन के गुराको महाफाल नहीं, अपफान, अत्यन्त अलफान वाला गाना गया। अतः यहाँ पर देह दुःयं महाफल' का नाय नही लेना चाहिए कि मा. पोपत जर उत्पन्न हो तो साधक सोये - मोर को उत्पन्न हुए कष्ट को प्रान्न भाप में सान पारना महान गामं निगंगा का कारण मा: (भाग कर को पष्ट देना नहीं, किन्तु) भानपूर्वक कार मेगा और खाना महान फारयाती।
हा तो में बता रहा था कि-य-गृत एवं पा दोनों प्रकार से मारीरिक-मानसिक काटों को सान मारमा
पीपालेकी पनि समाजातील कष्टी चोपीका पानामा विशेष निगनिबार में धासन, मान, प्रतिमा, चनारीर मामा आnिam मेदि गाय को मौकार मारता- विमा सप । . मागम में बनाये गरे गाय पर नदी में मंगा पेटला
रोपाट शवों : माननादि में न तो माना... गि गाई मात्र परम संपन्नों में मान- मामा PERFE मा की। गुर समग मानुगतन पाrमें नाम
मटर को भी का - या नोक
र शो को मार