Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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जनगम में प्रतिभा ना किसी पर झूठा मालक आदि नगाना । काय आदि कारागा की विवाधना नीनो के अन्तर्गत मानी जाती है।
१० विमर्श प्रतिमेवना - जान-बूझकार, शिनारपूर्वक शेष सेवन करना-- मेला आदि गती परीक्षा में लिए गले प्रश्न पूछना, दोष स्वीकार कराने .. कनिए धमााना, झूठा आरोप लगाना आदि ।
मानामों ने बताया है कि इन दस कारणों से तित हो मापक अपने पादित में दोष लगाता है, या दोष लग जाता है। इन दो कारणों को भी कार कारणों में अन्नहित कर दिया गया है.-----. था, २ मिया , अमान और ४ गावी दान ।
द, प्रमाद बार देष में मारपयो दोष लग जाते हैं, उनमें प्राप .. विग, मदाय की परिणति हो मुटन रहती है और उसकारण रायम प्रति सोया या पिता रहता है।
ना, आपत्ति और दिल में, गरि नारित्र पनि उशा का भाय तो नही रहना frन्तु विकट परिस्थिति मापने पर उसको विमगर . या को पार कर लिया fति में पहंगोमा प्रपन - भारत पोपी लिया जानाति से हार
दमामा मेवन गरकाश हममें माना जल माभिमानने की रही।
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