Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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श्रीमान रेखचंदजी रांका
आप बगडीनिवासी रांका परिबार के तेजस्वी नक्षम है । बोरीदाम . छगनमल फर्म के मालिक हैं । । मादगी, नयना, विनम्रता एवं सेवा परायणता आपकी चिरसंगिनी है। गन्माता नेहा, मिलनसार स्वभाव और अतिथि सत्कार में अग्रणी श्री रेवचंदजी बड़े ही शांत, गंभीर एवं गुम्भवत गज्जन पुरुप हैं । ममाज मेवा के कार्यों में आपने खुले दिल से लक्ष्मी का सदुपयोग किया है। आप बगड़ी व. स्था. जैन धावक गंध के मन्त्री एवं समाज में सम्माननीय व्यक्ति हैं । मद्रास (चिताधरी गेट) में डी. आर. रांका । यदर्म नाम में आपकी सुप्रसिद्ध
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श्रीमान् किशनलालजी बोहरा
आपकी जन्मभूमि अटपड़ा है। आरके पिताजी अनोपचंदजी बहुत ही धानिक प्रति एवं उदारमना नाग प्रकृति के प्रामाणिक धावक से । गुरुदेव के प्रति अनन्य भक्ति रखी थे। आपके मुगुम श्री किशनबालनी नी अपने पिताजी के
नाकामअपने पिताजी की गागार में आप द्रव्य का अच्छे हालों ने मारतारक उपयोग कर
श्रीमान छगनराज जो केवलचंदजी कोठारी
(मद्रास) श्रो केवलचंदजी बड़े उत्साही उदारमना एवं संवाभावी पूज्य गुरुदेव के परम भक्त हैं। आप निम्बोल के मूल निवासी हैं तथा अभी तिरवन्नामले (मद्रास ) में आपका व्यापार चल रहा है।
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