Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 653
________________ सन्माननीय नये सदस्य . [श्री मरुधरकेसरी जी म. सा. का साहित्य वर्तमान में अत्यन्त लोकप्रिय हो रहा है। जो सज्जन इसे पढ़ते हैं, वे हृदय से इसकी सराहना करते हैं तथा प्रवचन प्रकाशन समिति के सदस्य बनने में स्वयं उत्साह प्रदर्शित करते हैं। प्रवचन प्रकाशन विभाग के सदस्यों की शुभ नामावली छपते समय कुछ सन्मान्य सदस्यों के नाम विलम्ब से प्राप्त हुए । इसलिए उन्हें यथाक्रम नहीं दे सके, एतदर्थ क्षमा चाहते हैं। उन सदस्यों के शुभ नाम यहां पढ़िए।] प्रथम श्रेणी ३० शा० पारसमल जी सोहनलाल जी सुराणा, कुभकोनम, मद्रास ३१ शा० हस्तीमल जी मुणोत, सिकंदरावाद (आन्ध्र) ३२ शा० चन्द्रभान जी रूपचंद जी बोरा, वाशरमेन पेठ, मद्रास ३.३ शा० जेठमल जी राणमल जी सर्राफ एण्ड सन्स, जलगांव ३४ शा० देवराज जी मोहनलाल जी चौधरी, तोरुकोईलूर मद्रास ३५ शा० बच्छराज जी जोधराज जी सुराणा, सोजत सिटी ३६ शा० गेवरचंद जी जसराज जी गोलेछा, बंगलोर सिटी ३७ शा० डी० छगनलाल जी नौरतमल जी वंव, बैंगलोर सिटी ३- शा० एम० मंगलचंद जी कटारीया, मद्रास

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