Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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जैन धर्म में
उस वातावरण में उसकी गया दशा होगी? जो दशा बिल्ली के सामने चहे. की होती है, यया वह दशा उस साधक की उन सुंदरियों के हाट के यौन नहीं होगी ? भगवान महावीर जैसे मानव मन के गहरे अनुभवियों ने गहा . .
जहा विरासावतहस्स मूले
न मूसगाणं वसही पसत्या। . एमेव इत्यो निलयस्स मज्जे
___ न बमयारिस्स समो निवासी। जरो बिल्लियों के घर के पास गृहों का रहना पतरे से गाली नहीं है. उसी प्रकार मित्रों के बीच में ब्रहानारी का रहना एतरे से भरा हुआ है।.
बिल्ली नाहे नहे को मिलना ही अभयदान दें, गौर नहा मी मा में . गितना हो और बना रहे किन्तु गादि वह बिल्ली गोसाय मिलता है तो पता . नहीं मिलमय उसके गिर गतरे की घंटी बज उठे। राजस्थानी में एRT चता है भूगी दिल्ली ने बिल में छो चहे गो देशकर कहा -
इस बिल फेरा ऊंदरा उस बिल में भा जाय ! ...
ला) दमा घोषा बैठो ठो पाय ! भागना ! गुप एम बिल में निकालकर उस दिन में गाने आओ ! इतनी भी दूर में तुम्हें मार रागी , नीयन पर बैठे-बैठे गाना ! चिली की बात सुन नहा योना-~
घोटी, मा पनो जोवर जोपा मां !
विध मांही गटकोय यही मासो ! कुणाय ! मोमीनी मी मोरीगाना सभा माना जाप तुम्हारा कोई नही मिलेगा ? सभी न परमती कदम