Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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संगम में सा
artiकि, तुम इस योग-विति लिए अमुष. FREE र भारो ! बम, क्षेत्र में मही प्रायश्चित की प्रक्रिया
नीति में अपराधी को दिया जाता है, यहाँ अपराधी स्वयं मोमोमारी नहीं करता, यदि स्वीकार भी है तो उसके प्रति
मानि नहीं की ग्लानि भी हो तब भी यह उसके लिए मांग की । देर मिल भी जाता है तो प्रसन्नता और इमानदारी सारा पागही करता । जयति मातम नीति में दोनो स्म free मा है. पाप से प्रति उसके हृदय में तीन ग्लानि होती है, और निमार या अपने आप को हलका, प्रसाद और पवित्र अनुमान मा प्रायलित और यंट में गाद का बड़ा अन्तर है। ती . पर भारत के समस्त पापों में मा. मे लिए प्रायश्चित मा . प्रयो मिसान पार में अटक गर रह जाता है,
मी मनी पर ममता । अपरागो में मन को शारी
प्राचिन मोमोवी में आपको दिगदगार देता । में हाला को और METर भाभा बढ़ाया जाता मनि
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