Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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नोदरी तप
२११ (२) साधु जो नत्र ग्रहः करता है वह महामूल्य वस्त्र -बहुत मंहगा, दीराने में बहुत मुन्दर व आकर्षक नहीं होना चाहिए, किन्तु सादा, अल्पगन्ना वाला होना चाहिए।
(३) माधु पाच प्रकार के बन्नों में से ही कोई बाम ले सकता है जैसे -~~-5 फे, रेशम के, मन के, कपास के और यक्ष आदि की छाल व सण आदि
(५) सो त गा तीन प्रकार के पास ग्रहण किये जा सकते है-नये के, फाटक और मिट्टी से !
घाम-पाप प्राप्त करने की सम्पूर्ण विधि आघानांग ८४ तथा बारे अत संध के पांचवें अमापन के बगल में विस्तार के नाम बताईन । यहाँ पर हमारा प्रमंगलनाशिनिया पाप को मर्यादा है, उन मर्यादा मे नाम बस-
पासना । जो एक समान और एक बारना अभया सम्पूर्ण परिवार परला तये से अभिनयगए पा सरकार ए. लोय। दिलगी तो पूर्ण करन-
पागो मे उपकार मनोको नही हो सकती !
उमरा नोदरी को साधना गरी राज में जहां पत्रों की सुपर बर माने, रोमांच महामाया मालिक होगी। जिन मगर मनु मन मनमा sani मद को मारी गो, और पालने का मानना जी i, शरमा जा, दमा पूरी करने में fire m ent: कर दिमायों को कुन मापन .
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