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अटूट सहयोग उपलब्ध होता रहा है।
प्रस्तुत शोधग्रन्थ की कम्प्युटर कॉपी तैयार करने में भी सनिलजी एवं राजेन्द्रजी का प्राथमिक सहयोग प्राप्त हुआ है। इस प्रुफ रीडिंग एवं संशोधन में श्री चैतन्यकुमारजी सोनी, शाजापुर वालों का भी विशिष्टरूप से सहयोग रहा है। प्रस्तुत शोधप्रबन्ध इन सभी के सहयोग का ही सुफल है। यह सहयोग मेरे स्मृति पटल से कभी विस्मृत नहीं हो सकेगा। इस कार्य को इन्होंने अन्यन्त परिश्रम से सम्पूर्ण किया है। इनकी व्यस्तता अधिक होने पर भी इन्हीं के कारण प्रस्तुत शोधप्रबन्ध का मुद्रण कार्य शीघ्रातिशीघ्र हो पाया है। मैं इनके प्रति अन्तर्हदय से कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ।
इन्दौर निवासी श्रीमान् हेमन्तजी शेखावत, श्री नन्दलालजी सा. लूणिया, श्रीमान् लूणकरणजी सा. मेहता, श्रीमान् प्रकाशचन्दजी सा. मालू आदि भी समय-समय पर यहाँ पधारकर इस शोधकार्य में प्रोत्साहन देते रहे हैं। एतदर्थ वे सभी भी साधुवाद के पात्र हैं।
जोधपुर, विजयनगर, इन्दौर आदि के खरतरगच्छ के श्रीसंघों का भी विविध कार्यों में सहयोग प्राप्त हुआ है। इसके लिए मैं उनके प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। ___ समाज के कर्मठ सेवाभावी श्री गोविन्दजी सा. मेहता, श्री उत्तमचन्दजी सा. बडेर, श्री नेमीचन्दजी सा. झाडचूर, श्री लाभचन्दजी सा. जैन, श्री प्रवीणजी सा. लोढा, मातुश्री मदनबाईसा. गोलेच्छा आदि का भी समय-समय पर इस शोधकार्य में प्रोत्साहन एवं सहयोग उपलब्ध हुआ है।
इन सबके अतिरिक्त जिनका भी प्रस्तुत शोधकार्य के प्रणयन में मुझे प्रत्यक्ष एवं परोक्ष सहयोग उपलब्ध हुआ है, उन सभी के प्रति मैं हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। प्रस्तुत कृति समभाव की साधना हेतु साधकों के लिए उपयोगी सिद्ध हो, इसी शुभेच्छा के साथ,
- साध्वी प्रियवन्दनाश्री।
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