Book Title: Jain Darshan me Samatvayog
Author(s): Priyvandanashreeji
Publisher: Prem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP

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Page 434
________________ : कु. मंजु गोलेछा साध्वी डॉ. प्रियवंदनाश्री जन्म नाम पिताश्री का नाम : स्व. श्रीमान भंवरलालजी गोलेच्छा माताश्री का नाम : स्व. श्रीमती मदनबाई / जन्मतिथि, दिनांक : आसोज सुदि सातम, 10 अक्टूबर 1967 जन्म स्थान : जगदलपुर, बस्तर (छत्तीसगढ़) दीक्षा तिथि व दिनांक : फाल्गुन सुदि चौथ, 7 मार्च 1984 | दीक्षा स्थल : फलोदी (राज.) छोटी-बड़ी दीक्षादाता : स्व. प.पू. आचार्य श्रीमज्जिन कान्तिसागरजी म.सा. गुरुवर्या श्री : पार्श्वमणि तीर्थ प्रेरिका प.पू. गुरुवर्या श्री सुलोचनाश्रीजी म.सा उग्रतपस्विनी प.पू. सुलक्षणाश्रीजी म.सा. / विचरण क्षेत्र : राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, केरला, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उड़िसा तपश्चर्या 'मासक्षमण, वर्षीतप, वीशस्थानक तप, नवपद ओली, ज्ञानपंचम, मौनएग्यारस अध्ययन ': तर्क न्याय, संस्कृत, व्याकरण, हिन्दी तत्त्वज्ञान, आगमादि। ' एम.ए. जैन विद्या और तुलनात्मक धर्म-दर्शन पीएच.डी.- जैन दर्शन में समत्वयोग-एक समीक्षात्मक अध्ययन विशेषता : सुलझे हुए निर्णय लेना, निर्णय में समभाव, मन में सेवा भावना, प्राणीमात्र के प्रति दया, करूणा व मैत्री के भाव, प्रसन्नचित्त, हंसमुख चेहरा, वाणी में मधुरता, मृदुता, सरलता, सहजता, शालीनता, व्यवहार कुशलता, क्षमा, परोपकार आदि।। प्रकाशित पुस्तकें : - सुर सरिता - श्रद्धांजलि - सुलोचन सुरभि - नित्य स्मरण माला - नित्य स्मरण मालाजैन दर्शन में समत्वयोग : एक समीक्षात्मक अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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