Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
View full book text
________________
सुमिणदंसणं कहणा जम्मं बालत्तणं कलाओ य ।
जोव्वण-पाणिग्गहणं, कंता पासाय भोगा य ॥ णवरं गोयमो नामेणं । अट्ठण्हं रायवरकन्नाणं एगदिवसेण पाणिं गिण्हावेंति अटुट्ठओ दाओ।
उस द्वारका नगरी में अंधकवृष्णि राजा निवास करते थे, जो महान हिमालय पर्वत की भांति मर्यादा पालक और समर्थ थे । धारिणी नाम की उनकी रानी थी। किसी दिन धारिणी रानी अपने शयनागार में (तंसि तारिसगंसि-पुण्यवान
जनों के योग्य) सुख शय्या पर सोई हुई थी । (इसका वर्णन महाबल के . प्रकरण के अनुसार समझ लेना चाहिए) जैसा कि
धारिणी रानी का सिंह स्वप्न दर्शन, पति को स्वप्न कथन, बालक का जन्म, उसकी बाल-लीलाएं, कला शिक्षण, युवा अवस्था आने पर योग्य कन्याओं के साथ पाणिग्रहण, कान्त रमणीय प्रासाद में रहना और सांसारिक भोग भोगना आदि वर्णन यहां महाबल के समान समझ लेना चाहिए । विशेष यह है कि बालक का नाम गौतम कुमार रखा गया । एक दिन में आठ उत्तम कुलीन राजकन्याओं के साथ पाणिग्रहण हुआ और कन्यापक्ष
की ओर से दाय-प्रीतिदान में आठ हिरण्य कोटि (स्वर्णमुद्राएँ) मिलीं । Maxim 6 :
In Dwārakā city ruler Andhakavrsni inhabited. He was great like Himawāna mountain. Dhāriņi was his queen. Once Dhāriņi was sleeping on a very comfortable bed, (such a bed can be available to meritorious persons-tansi tārisagamsi) in her bedroom. (Its all description should be understood from the episode of Mahābala. As
.२४.
अन्तकृदशा सूत्र : प्रथम वर्ग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org