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( ४० ) सं० प्रा०
सं० प्रा० कनक
कराय . नदी गई, नई वचन वयण
नर णर, नर वदन वयण । नयति णेइ, नेइ
(पालि भाषा में 'ण' को 'न' होता है। देखिए-पा० प्र० "पृ० ६१-न = ण)
पैशाची भाषा में 'ण' को 'न' होता है'। सं० पै० प्रा०
गुण गण गन
गण ___'अ' तथा 'श्रा' के बाद आनेवाले 'प' को२ 'व' ही
होता है। कपिल-कविल, कपाल-कवाल, तपति-तवइ ।
ताप-ताव, पाप-पाव, शाप-साव १०. दो स्वरों के बीच में आए हुए 'प' को 'व' होता है। उपसर्ग-उवसग्ग, उपमा-उवमा, गोपति-गोवइ, प्रदीप-पईंव,
महिपाल-महिवाल । (पालि भाषा में 'प' को 'व' होता है। देखिए-पा० प्र० पृ. ६१, पव)
अपभ्रंश भाषा में 'प' को 'ब' भी होता है।
१. हे० प्रा० व्या०८४/३०६ । २. हे० प्रा० व्या०८११७६ । ३. पृ०३३-लोप (ख) का अपवाद है। ४. हे० प्रा० व्या० वारा२३१ । ५. हे० प्रा० व्या० ८।४।३६६ ।
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