Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 480
________________ संति संदिस ६७ ३८२ शब्द अर्थ पृष्ठाङ्क शब्द अर्थ पृष्ठाङ्क सढ साँढ़ ३८, १८ सगयाला ३८१ संणा-सान-समझना ६१.६२ सगरपुत्तवचन-सगर के पुत्र का वचन संद-दंश लगा हुआ-डसा हुआ- सग्ध २२८ काटा हुआ ६८ सची (सं०) १३१ २६६ सचेलय २५१ संपआ ३१५ सच्च ६४, २११ संपज्ज=संप्रज्ञ-विशेष ज्ञानी सज्ज ५७, ३२६ संपज्ज (धा०) १५४ सज्झ-साधने योग्य संपण्ण=संप्रज्ञ-विशेष ज्ञानी सज्झाय= स्वाध्याय संख्या ३१५ सट्टि संपाउण (धा०) २८३ सड्ढा श्रद्धा-विश्वास संबुझ (धा०) २५६ सढ १८६, २६८ संभु २६८ सढा जटा अथवा केसर-सिंह २४३ आदि के गर्दन की बाल ४५ संमुह सामने ६८ सढिल=शिथिल-ढीला संबच्छर वर्ष ६६ सणिच्छर-शनैश्चर संवड्ढ (धा.) २६६ । सणिद्ध-स्नेह युक्त ८६ संसार २०० सह स्नेह संसारहेउ २४१ सण्णा ६१, ३१३ संहर् (धा०) २५६ रह ५६, ७०,८७, २२८ संहार-संहार-विनाश सततं २१२ सक्क-सक्त ___ ७५ सति सक्कार-संस्कार ६७ सत्त-शक्ति वाला ५६, ३२८ सक्खं ६७, २५८ सत्त-सात-७ संख्या ३७६ सङ्ख-शंख ६७ सत्तचत्तालिसा ३८१ संभू ३१५ W W 20 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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