Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

Previous | Next

Page 483
________________ अर्थ सिंघ ८६ ( ७० ) शब्द अर्थ पृष्ठाङ्क शब्द सात २११ साहुणी सादूदग-मधुर जल ६५ साहुवी साम ११४ सिआ ( क्रि०)-हो-होवे २६८. सामअ साँवा नाम का धान्य १६ सिआ-किसी रीति से-किसी। सामच्छ-सामर्थ्य-शक्ति ६५ अपेक्षा से सामत्थ%, ५ह सिआल २७, १८२ सामला-श्यामा-षोडशी युवति १७ सिआवाअ-स्याद्वाद-सापेक्षवाद ८६ सामा= , ५८, ३२८ सिंग १८१ सामिद्धि-समृद्धि-संपत्ति सिंगार ३२६ साय २११ ४३, ६८, १८२ सारंगधनुष सिंच ( धा०) १६६ सारस सारस पक्षी सिंधव-सैंधव नमक अथवा सारासार=सार और असार १०२ सिंध देश का घोड़ा सालवाहन शालिवाहन नाम का सिगाल १८२ सिज्ज (धा०) १५४ सालवि २५६ सिज्म ( धा०) सालाहण=शालिवाहन नाम का सिट्ठि-सेठ राजा ४७, ६३ | सिढिल ढीला २२, ४८ सालाहणी शालिवाहन की रचित सिणिग्ध-स्नेह युक्त कविता ४७ सिण्ह छोटा अथवा कोमल ६६ साव-शाप-आक्रोश ४०, २०६ सित्थ-धान्य का कण ५६, ३२७ सावग-श्रावक-सरावगी १७५ २६३ सिद्धि सासुरय २६३ सिनात (पै०)-शरीर से वा मन साहट्ट ( सं० भू० कृ० ) ३६८ से स्नान किया हुआ ७० ३७, २४० सिनान (पालि ) स्नान mm ४७ १५६ सिद्ध सावज्ज साहु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508