Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 498
________________ [ ८५ ] पृष्ठ १५६ १५६ १५६ रूस् १५८ १६३ १६६ १७२ १७२ १७३ अशुद्ध शुद्ध सुस्स सुस्स् नस्स नस्स् रूस रूस्स रूस्स सामने जाता है। सामने बोलता है। (वीर) (वीरम्) वीर+ओ-वीरो वीर+ओ=वीरो, वीर+ए वीरे वीर+मूवीरं (वीर) वीर+म् वीर ( वीरं ) 'हि' प्रत्यय परे रहने पर 'हि' प्रत्यय को छांदस नियम की तरह छांदस भाषा की तरह चतुर्थी प्राकृत भाषा में भी चतुर्थी उपभोग उपयोग (फसल !) (कमल !) १०, 'णि 'ड' १०, 'णि', 'ई' महु+इ-महूइ महु+इ-महूइँ अजिन अजिण वव . मायणम्मि भायणम्मि कुम्मारो कुम्हारो मत्थयेण भत्थएण कुप्पई। कुप्पइ। तुत् चुत पतित, तोता, शुक पक्षी । तोता पण्डित । सोय ......पंडिता । ....... 'पंडिता ? १७८ १७८ १७६ १८२ वह १८३ १८५ १८५ १८५ १८५ १८८ १८६ १६१ सो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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