Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 482
________________ शब्द अर्थ सयरपुत्तवयण= सगर-पुत्र का वचन सयल सया सय्ह = सहन करने योग्य सर सरअ = शरद ऋतु सरओ= सरण सरस सरहि सरिआ "" सरिया सरिसं इणं - यह सरिखा है सर् (वा० ) सर्करा (सं० ) सर्वरी (सं० ) सलाया सलाहा = श्लाघा=प्रसंशा Jain Education International ( ६६ ) सल सवध ( अप० ) = शपथ-सौगंध सवल = चित्रविचित्र सवह = शपथ - सौगंध सवाय सव ( घा० ) सव्व पृष्ठाङ्क ३३ २१३ २४३ ६७ ५८, ३२७ ३६ Ε २११ २२८ २६७ ३१४ ३१४ ८७ २७० १३० १३१ ३१४ ८६ २६३ ४१ ४१ ४१ २८२ १४६ ६०, १६६ शब्द सव्वओ सव्वज्ज= सर्वज्ञ सव्त्रञ्ञ ( पै० )=सर्वज्ञ सव्वण्णु सव्वतो - सब तरफ से अथवा सब रीति से सव्वदो ( शौ० ) = सव्वत्थ सव्वया सव्वसंग सव्वहा अर्थ सह् ( घा० साउ ·) साक साड साडवि साडी सा ससा सह सहरी = मछली सहल सहस्स सहा=सभा सहिअ = सहृदय - पंडित सहिअय " पृष्ठाङ्क ६२ ६१ ६६ ६१, ६६, २५३ For Private & Personal Use Only 39 ६२ ६२ २५८ ३५७ २४२ ३५७ ३१४ १८४ ४१ ४१, २२८ ३८४ ३७ २०२ २५५ १३० २५५ २५६ ३१७ ૫૪ www.jainelibrary.org

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