Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 487
________________ ان الف و لله ह w G हरिण हस ( ७४ ) शब्द . अर्थ पृष्ठाङ्क शब्द अर्थ पृष्ठाङ्क सोवाग २४२ ४२, १७५ सोहण शोभा देनेवाला ४३ . हर- जलाशय सोहा शोभा हरक्खद-महादेव और कार्तिकेय ८२ सोह (धा०) १५६, २५८ हरखंदस्थूर (स०) स्थूल-मोटा हरडई-हरड, हरे २३, ४७ हरिअंद ह २०१ हारआल-हरताल हतव्व २०१ हरिएसबल २२७ हंता (सं० भू० कृ०) २६३ हश (मा०) हंस ४३ हरिष (सं०) ४२ हरिस १८६ १३५ हरिस् (धा०) १३८, २८८ हतुट्टमलंकिय हर्षित, तुष्ट और हरीटकी (पालि)=हरड, हरें अलंकृत ९८ हड-हरण किया हुआ-उठा लिया। हल (मा०) महादेव हुआ हलद्दा-हल्दी, हरदी, हर्दी हणिया (क्रि०) २१८ हलिअ-हल चलाने वाला हणुमन्त=विशेष नाम-हनुमान २६ हलिआर हरताल हण् (धा०) १५६, २५८ हलिद्दा-हल्दी, हर्दी हत्थ ७०, १७५ हलिश् (मा० धा०) २८८ हत्थपाया १०२ हलुअ ८८, २५८ २४० हव (धा०) १८६ हत्थी हाथी ६४ हव्ववाह १८३ हय-हरण किया हुआ-उठा लिया हस् (धा०) २२६, २६७ ४७ हस्ती (मा०) हाथी " हजे ४७ हत्थि हुआ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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