Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 485
________________ ( ७२ ) ८४. ७४ ७६ - G Mm सुमिण शब्द . अर्थ पृष्ठाङ्क शब्द अर्थ पृष्ठाङ्क सुक्ख-सुख १८८ सुत्ति-सीप सुखुम २२८ सुदंसण-सुदर्शन सुगत-बुद्ध भगवान् ३३ सुद रसण= , सुगन्धि २५५ सुद्धोअणि बुद्ध भगवान् सुङ्ग-चुंगी-राजा का कर सुनुषा (पै०)पुत्रवधू सुजह २०१ सुनुसा= " सुज्ज-सूरज सुन्देर-सुन्दरता सुभ (सं०) शुभ १३१ सुज्झ ( धा०) १५७ १६४ सुटिअ-सुस्थित सुभासए ७१ १२२ सुट्छु सुमरि (क्रि०) याद कर ६८, २२८ सुणिसा ( पालि ) = पुत्रवधू १५६ सुमर (घा.) ७० सुण (धा० ) ५३, ८६, २६८ १५४ सुण्ह बहुत छोटा सुम्ह=एक देश का नाम सुय्य (शौ०) सूरज सुण्हा ५४, ७०, ८७, ३१३ सुर ६८, २८१ सुण्हा=गाय का गलकंबल २० २८१ सुतगड-सूत्रकृतांग नाम का सुरुग्ध-एक गाँव का नाम अथवा .. जैन अंग आगम देश का नाम ८७ सुतार=सुगम रीति से उतरने सुव-अपना अथवा अपन ८७, १६६ योग्य-घाट सुवइ (क्रि०) सोता है १६ सुत्त-सूत्र-छोटा सा वचन २११ २५७ सुत्त (सं०) अच्छी रीति से सुवण्णिअ-सोनी-सुनार-सोना दिया हुआ ५५, १३३, २१२ गढ़ने वाला सुत्त ५७, २१२, २४३, ३२८ सुविण २६८ सुत्तहार २५६ सुवे आने वाला कल-आने सुत्ता (सं० भू० कृ०) ३६८ वाला दिन सुरही ४७ सुवण्ण ३२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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