Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 495
________________ [ २ ] अशुद्ध ४४ ४८ नियम ११ दह ४८ टिप्पण में १६ खुज खुज्ज *जब 'कुब्ज' शब्द 'पुष्प वाचक हो तब उसका 'कुज' रूप बनाना । ऐसा टिप्पण बढ़ाना। चिलाअ याने चिलाअ%3 दह दभ । दुष्ट - दम। 8 दर-डर । दष्ट 8 भय अर्थ में ही 'डर' रूप बनता है। ऐसा टिप्पण बढ़ाना। समझना समझने (नि० २६) (नि० २५) धात्री-धाती धात्री-धती-धत्ती प्राकृत भाषा में पिया प्राकृत भाषा में पिय । अः को ओर पालि भाषा में ऐसे होने वाले रूपांतरों के लिए देखिए--पालिप्रकाश पृ० ३०, ३१ (नि०३६, ३७); पृ० ३२, ३३ (नि० ३८, ३६); पृ० ३५ (नि० ४२); पृ० १० (नि० १२), पृ. १२,१३ (नि० १५, १६)। अः को ओर करेञ्जहि करेजहि वठि।) वट्टि ।) दद ७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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