Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

Previous | Next

Page 431
________________ अर्थ शब्द कुत्तो कुदाल (सं०) = कुद्दाल कुंदो (शौ० ) = कहाँ से कुंछ (धा०) कुप्पू (घा०) कुमारवर = उत्तम कुमार कुमारी कुमर = कुमार, कुंवारा २०, ४१, १२६ २४२ कुम्पल कुम्भार= कुम्हार कुल=कुल कुलवह = कुलपति गुरुकुल का आचार्य कुवर (अप० ) = कुमार कुव्व् (घा०) ( १८ ) कुसग्गापुर = राजगृह का दूसरा नाम Jain Education International पृष्ठांक २०२ १३१ ६२ १६६ १४६ ३१६ १८७ ६२, १८२ "" ४२, २४२ २४० ४१ २८६ कुसल कुसुमपयर = फूलों का समूह कुसुमप्पयर= कुह (वै०) = कहाँ अकुह् (घा०) कूअ कूज् (घा०) कूर = ईषत् - थोड़ा के. ढव= कैटभ नाम का राक्षस ४५, ५० २२७ २१३ ८२ ८१ १२५ १५६ २५६ २५६ ८३ शब्द अर्थ hura = किसी भी प्रकार से केणावि = केरिस-कैसा केल= केला का फल केलास = कैलास केली = केला का गाछ - पेड़ " केवच्चिरं केवञ्चिरेण केवट्ट = मच्छीमार, मछली मार केवलं केसरि केस केसी = एक दूसरे के वालों को खींच-खींच कर लड़ना १०१ केसुअ = पलाश का - केसुद्धा का फूल वा वृक्ष केह (अप० ) = कैसा -- कोइ को उहल = कुतूहल को उहल्ल= कोडि कोहु बिअ पृष्ठांक ६६ ६६ ट्यू २२८ ८२, ११६ : ३० ८२ ३६३. ३६३ ६७ २८३ २६७ 19 को ऊहल = "" कोकिल = कोयल कोच्छे अय = तलवार को हागार = कोठार कोडाको डि For Private & Personal Use Only २२, ६८ ट्यू १६५ २५, २६, ८१ ८१ २६ २५५ ३२ ६८ ३८४ ३८४ २५५ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508