Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 447
________________ 4 शब्द अर्थ सोण = त्राणों को रखने का थैला भाथा, तरकश तोल् ( धा० ) थइअ = ढका हुआ थंभ=थंभा थद्ध-स्तन्त्र थव=स्तुति थागु = महादेव थ थुई थुई = स्तुति थुण ( घा० ) थुल्ल = स्थूल - मोटा थुवअ = स्तुति करने वाला थूण = चोर ( ३४ ) Jain Education International पृष्ठांक यावर श्री-स्त्री थीण = कठिन - जमा हुआ २०, ७०, थूणा=खूँटी, खंभा थूल = स्थूल - मोटा थूलि ( चू० पै० ) =धूलि-धूल थेण= चोर थेर= वयोवृद्ध थेरिअ = स्थिरता थेव= थोड़ा २६ १६७ ७६ ७०, ७५, ५८, ७० ७० ७५ २१० ८४ ७७ ३१५ ७० १६६ ८२ २० २६ २६ ५२, ८१ ३८ २६ ८३, ६३, २६८ ७४ ८४ शब्द थोअ = थोड़ा थोक = थोक्क= 39 थोणा = खूंटी, खंभा थोत्त= स्तोत्र " अर्थ थोर स्थूल-मोटा थो - =थोड़ा दइवण्णु= 39 दइ० - दैव- अदृष्ट - नसीब द दइव - दैव- अदृष्ट - नसीच, भाग्य दइवज्ज = देव को जानने वाला दंड-डंडा दंडादंडी = परस्पर डंडा द्वारा किया हुआ युद्ध दंभ दंभ-कपट |दंसण = दर्शन - देखना दक्खव ( धा० ) दक्खिण = दक्ष दग (सं० ) = पानी दच्चा=देकर पृष्ठांक ७०, ८४ ८ १०१ दंत २१३ दंद - द्वन्द्व - समास का एक भेद १०२ ४८ ४७, ८७ ३२५ १७, ८, १६६ १२८ ६४ ४८, ६८, ७५ ३७१ दट्ठ =डंसा हुआ दहव्वं For Private & Personal Use Only ८४ २६ ७० ५२, ५३ ८४ ८१ ६१ ६१ ३०, ८१ ४८ www.jainelibrary.org

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