Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 458
________________ पृष्ठांक ३६८ १७ २५४ २२७ २६७ ८७ ६४ w ( ४५ ) शब्द अर्थ पृष्ठांक शब्द अर्थ परिन्नाय पवयण%Dप्रवचन परिवहन (पालि) ७७ पवय् (धा०) २४४ परिवुडो १६५ पवस् (धा०) परिव्वय् (धा०) २८३ पवहण परिषत् (सं०) १३३ पवासि परिसु-कुल्हाड़-कुठार पन्वय २१० परिसोसिअ २४३ पसत्थ-प्रशस्त परिसोसिय २४३ पस्स् (धा०) २८६ परिहर् (धा०) २१४ पसु २६८ परुस कठोर ४६ पस्खलदि (मा० क्रि०) स्खलित परोप्पर परस्पर १६, ७१,८८ होता है परोह अंकुर पस्ट (मा०)=पट्ट-पट्टा पलक्ख-पिप्पल वृक्ष पहपंथ-मार्ग पलि पहार २२६ पलिअ-श्वेत केश ४७ पलिघ-परिघ पहुडि-प्रभृति-वगैरह ५३ पलिघो= , पा (धा०) १५०, २६२ पाअ पलिल श्वेत केश २६२ पलीव-प्रदीप १ पाइक्क पदाति-पैदल सेना ८४ पल्ल-उलटा पलटा ८३ पाउरण=प्रावरण-कपड़ा ७०, ७७, ८० पल्लत्थ= " ७०, ८० पाउस पावस-वर्षा ऋतु ८४, ३२७ पल्लस्थिका पलथी पाउसो= , ८६ पल्लाणघोड़े का साज ५२,८०, २६३ ।। पाऊण २८२ पल्हाअप्रह्लाद ७३, २२६ पाओण-पौना-ol पल्हाद , २२६ पाट (धा०) पवह प्रकोष्ठ-हाथ का पहुँचा ४४ पाडलिपुत्त २२७ s ८६ १६५ w ० ०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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