Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 466
________________ शब्द भारय भारवह भारहर भारहवास भारिआ = भार्या -स्त्री भारिया= अर्थ "1 भिंग भिंद् भिक्ख भिक्खु भिच्चो भाल भास (घा० ) भिउडि= भृकुटि - आँख के ऊपर का भाग मिसक्क (पालि) भिसिणी = कमल की वेल-नाल |भीरु = डरपोक भुक्खा खाया हुआ भुक्त= भुक्त भोगा हुआ ( ५३ ) ପୃଥ୍ବୀ ଜ୍ଞ २६२ १७५ २०६ २२७ ७४ ३५७ २४१, २५३ ३७१ भिण्डिवाल = एक प्रकार का शस्त्र ७८ भिष्फ= भीष्म ७६ भिब्भल= विह्वल-व्याकुल ५३, ७२ भिसअ=वैद्य ३६ ३६ भु= भ्रू- आँख के ऊपर के कपाल का भाग, भौंह Jain Education International ७४ २८१ २१३ २५ ३२६ १६६ ५० ५२ २६ ३१३ ५६, ३२८ शब्द भूअ भूमि भूमिवइ भूवइ भेड = भेड भेर= भोइ भोगि "3 भोच्चा=भोग करके अथवा भोजन करके भोत्तव्वं भोयण अर्थं म मअ मइ मइल = मलिन - मैला मईय मउड=मुकुट मउण= मौन - चूप रहना मउत्तण= मार्दव= कोमलता For Private & Personal Use Only "" पृष्ठाङ्क २०० ३१५ २४० २४० ५२ ५२ २४० २४० ६४, ३६८ ३७१ २०१ मंगल मंजार = बिलाव = बिल्ली मंटल (चू० पै० ) = मंडल - समूह मंडल = मंडुक्क= मेंढक २२६, २४२ ३१५ ८४ ३५६ २४ ३१ २७ १८२ ८७, २२६ ३८ ३८ ८१ www.jainelibrary.org

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